एक दिन कलयुग आएगा,
हँस चुगेगा दाना,
कौवा मोती खायेगा .
तुलसीदास कि ये पंक्तिया आज जीवित हो चुकी है. आज भारत मे अपराधियों को बिरियानी, तालिबानियों को सुरक्षा और बलात्कारियों को मुवावजा दिया जा रहा है, लो और खाओ , और पैसे लो और करते रहो बाल्त्कार पे बालात्कार.
कोसीकला के उपद्रव पे अभी पानी भी न पड़ पाया था कि कुछ दरिंदों ने प्रतापगढ़ के अस्थाना गावँ को भी अपना शिकार बना लिया. एक नाबालिग हिंदू दलित कि मासूम बच्ची जिसको दुनियादारी क्या होती है अल्लाह पाक के नापाक लोगो ने अपनी हवस का शिकार बना इस्लाम को बदनाम करने कि कड़ी मे एक और नग जोड़ दिया.
उत्तर प्रदेश के इलाहबाद और लखनऊ के बिच स्थित प्रताप गढ़ में ४ मुसलमानों ने एक कक्षा ४ में पढने वाली ११ साल की छोटी बच्ची का २० जून २०१२ को उसके घर से अपहरण किया गया और ३ दिन तक सामूहिक बलात्कार करने के बाद उस मासूम बच्ची की दर्दनाक रूप से हत्या कर दिया|.
घटना कि जानकारी मिलते ही गुस्साई भीड़ ने प्रतिक्रिया स्वरुप जो की एक नियम है उनके घर जला डाले शायद भीड़ के मन मे फिर भी दया बाकी थी सो जान से नहीं मारा.
गांव में गैंगरेप व हत्या के बाद हुए बवाल की आग इतनी बढ़ गई है कि हालात बहुत नाजुक होते जा रहे हैं। सरकार भले ही हालात सुधारने का प्रयास कर रही है, लेकिन अपने सामने जलते घर देखने वाली खाकी रात में लोगों पर कहर बरपा रही है। नामजद हुए लोगों के अलावा उधर से निकलने वाले लोगों को भी पकड़कर अज्ञात में नाम बढ़ा दे रही है। अस्थान गांव के समीप स्थित राजा का पुरवा, कड़रौ, गोलहन का पुरवा, अब्दुल वाहिद गंज, दयामऊ, अदलाबाद समेत कई गांवों के लोग वर्तमान में घर छोड़कर फरार हैं। कुछ रिश्तेदारों के यहां तो कुछ बागों, जंगलों में शरण लिए हैं। कब कौन घर आता है और कौन जाता है, इसके संबंध में परिजनों तक को पता नहीं होता। चप्पे-चप्पे पर लगी पीएसी और पुलिस भले ही लोगों की सुरक्षा का दावा कर रही है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। दिनभर सुरक्षा के नाम पर तैनात पुलिस रात होते ही कहर ढाने लगती है। पुलिस की दहशत लोगों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। गांव में मौजूद महिलाएं तो पुलिस की करतूत बताते-बताते फफक पड़ती हैं, लेकिन शायद उनका रोना किसी को नहीं दिख रहा है।
उपद्रव के बाद पहुचें समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने बाल्त्कारियों के परिजनों को ५०-५० हजार का मुवावजा देने कि घोषणा की. सबसे चौकाने वाली बात ये कि जो इस्लाम जो बाल्त्कार को नापाक मानता है, के धर्मगुरु इमाम बुखारी बाल्त्कारियों के लिए मुवावजे कि मांग कर अति कर दिया बजाय कि बालात्कारियों को सजा दिलवाए. सरकार भी वोट बैंक कि राजनीति मे साथ पूरी तरह उन बालात्कारियों का सहयोग कर रही है.
यही है इस्लाम ??? यही है मोहम्मद का रास्ता ??? यही है कुरआन का प्रकाश ??? यही है इस्लाम का मतलब ?? यही है जन्नत पाने का रास्ता ??
कुछ लोग कहते हैं कि संघ और कट्टर वादी हिंदू समाज मे जहर घोलने का काम कर रहे हैं, तो मै मुसलमान भाईयों से पूछना चाहूँगा कि बालात्कार और दंगे कि शुरुवात कर इस्लामी क्यों संघियो और कट्टरवादियों इसका को प्रमाण पत्र देते हैं कि वो जो कह रहे हैं वो वास्तव मे सच है. क्या बालात्कार और दंगे कि शुरुवात करना भाईचारा बढ़ाना है ??? वास्तविक बात ये है की जहर घोलने का कुकृत्य कुछ विकृत मानसिकता वाले मुसलमानो को ही करते देखा गया हमेशा. चाहे गोधरा हो या कोसीकला या अब प्रतापगढ़ यदि इन सब घटनाओं को जोड़कर देखा जाए तो हर जगह शुरुवात मुसलमानों ने ही की, प्रतिक्रिया स्वरुप हिन्दुओ ने जब जवाब दिया तो हर जगह शाशन कि मार झेलनी पड़ी और हत्यारों, बाल्त्कारियों को मुवावजा और सहयोग.
मै सारे मुसलमानो भाईयों से अपील करता हूँ, इस प्रकार के कुकर्म छोड़ ईश्वर का रास्ता अपनाए, बाल्त्कारियो को ढूंढ उन्हें सजा दिलाने मे प्रयास करे ये समय धर्म मे पदाने का नहीं है, इंसानियत मे पडने का है.
शायाद सरकार ने भी बलात्कार और हत्यायो को बढ़ावा देना अपनी योजनावो मे शामिल कर रखा है ???
शायद यही है कलियुग..
7 comments:
कमल भाई ये कलयुग नहीं है...इसे कहते हैं मुल्ला तुस्टीकरण...इसके पीछे भी बहुत बड़ा जाल है जो हम सभी देख कर अनदेखा कर देते हैं और झूठे सेक्युलर होने का दंभ भरते हैं...अब जैसे प्रतापगढ़ के लोग जाग चुके हैं कोसीकलां के प्रकरण के पश्चात् वैसे ही सभी को अब जाग जाना चाहिए...कहीं देर ना हो जाये...गंधार वगैरह के जैसे...और हमारा देश भी भारत से बदल कर हिंदुस्तान बन जाये या सीधे शब्दों में कहें तो मुगालिस्तान बन जाये
ये जो संघी संघी करते हैं इनका तो है दिमाग खराब, अति होने पे दिग्गी तक के मुंह पे ताला मार दिया घोर सांप्रदायिक कांग्रेस ने, रही बात अपराध, बलात्कार, लूट पाट आगजनी और सामाजिक ताने बाने को नुकसान पहुंचाने की तो इतिहास उठा के ये कोई बताये कि भारत में या बिश्व में इस्लाम ने कब ये सब नहीं किया? हैरत इस बात की है कि जब भारत को आजादी मिलने की आशा थी तो अंग्रेजों ने उस समय आज की बिकी मीडिया की नींव रखी जिसका आदि पुरुष मंडल में गांधी का नाम आज भी भरमाने के लिये बडे प्यार से लिया जाता है और उसने जिस खुद को बेवकूफ़ बनाओ परंपरा की नींव रखी उसने तुरंत ही मोपला आदि के रूप में रंग दिखाने शुरू किये जो आज भी जारी है, दिक्कत ये है कि अब प्रशासन का सहयोग भी मिल रहा है - सच को सच ना मानकर और दमन करके !! अपराधिक मनोवॄति को अपने दिमाग में पनपाना इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं में से एक है, इसीलिये विकसित देशों तक में ये लोग बिलकुल उन अपराधों में लिप्त पाये जाते हैं जिनमें ये सोमालिया या युगांडा या पाकिस्तान या किसी भी मुस्लिम बहुत बस्ती के आस पास पाये जाते हैं, अफ़सोस जब तक दुनिया इसे समझेगी वायरस बहुत फ़ैल चुका होगा ...
ये सब सेक्युअलर पुत्रों का करा धरा है .पंथ -निरपेक्षता की फसल है जो इंदिरा जी बौ गईं ,प्रजा तंत्र में रोज़ बा रोज़ काटी जाय है .
भूसा भरा दिमाग में, छोटी मोटी बात ।
शर्म दिखा के छुप गई, आज हमें औकात ।
आज हमें औकात, कटी पॉकेट शरमाये ।
लेकिन पॉकेट-मार, ठहाके बड़े लगाए ।
हुआ रेप मर गई, बिचारी शरमा करके ।
हँसे खड़ा रेपिस्ट, चौक पर दारु ढरके ।।
वाह नारद जी, बिना सबूत के, सुनी सुनाई बातों पर और बिना मामले की तह पर गए पुरे मुस्लिम समाज को ही बल्कि धर्म को गुनाहगार ठहराने की कोशिश करने लगे... और हद तो यह है कि एक मासूम बच्ची के साथ हुई इसकी घिनौनी हरकत की आड़ में एक पूरे समाज के लोगो को आतंकित करने और उनके घरों को आग लगाने की घटना का समर्थन कर रहे हैं... केवल इसलिए कि उस समाज के लोगो पर इलज़ाम है... जब कि अभी तक तो वह केवल मुलजिम है, मुजरिम भी नहीं....
श्नावज जी वास्तव में ये कितना बुरा है , की कसाब जिंदाल आदि आतंकवादियों के बारे में सुनी सुनाई राय पे चल रहें हैं, जबकि अभी तक तो भारत सरकार की तरफ से सिर्फ इलज़ाम है, मै उनके भी बिरियानी खाने का समर्थन करता हूँ , रही बात पुरे समाज को इलज़ाम लगाने की तो शायद आपने लेख ढंग से नहीं पढ़ा, मैंने पुरे समाज से अपील की है..
कहा जाता है जिस रंग का चश्मा होता है उसी रंग की दुनिया दिखती है, चश्मा उतार के फिर से पढ़िए समझ आ जायेगा :)
Narad....Allah Tumko Hidayat De...Aameen..
Main Apni Bhaiyo se guzarish karta hoon ki inki har kahi hui baat pe Allah se Duaa karein ki Allah narad ko Hidayat dein...or internet pe lekh likhne se aap sachchayi ko nahi mita sakte ho narad...Agar itna hi dambh bharte ho apne hidnutv ka...to aaiye maidan mein sare rah apne ye bayaan be-babaak or nirbhik andaaz me kahiye...main swagat karunga aapka...!
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