बपौती काई प्रकार कि होती है, एक तो बाप का माल, हलाकि जो ये समझता है वो खुद भी अपने बाप का माल ही होता है भले वो अपने आपको बाप का माल समझे या नहीं या अपने बाप को ही घुड़क दे, लेकिन बाकी वस्तुवो को बाप का माल समझने वाला एक खास किस्म का दिमागी योध्धा होता है, जो बिना किसी से लड़े ही सबको अपने बाप का माल मानता है।
जैसे किसी ज़माने सवर्ण दलित को अपने बाप का माल समझता था, मुसलमान कुरआन और मोहम्मद को अपने बाप का माल समझता है, आशाराम अपने महिला भक्तो को अपने बाप का माल समझते है, बोस अपने मातहत को अपने बाप का माल समझता है, पुरुष स्त्री को अपने बाप का माल समझता है, स्त्री पुरुष के माँ बाप को अपने बाप का माल समझती है, दलित वाल्मीकि जी को अपने बाप का माल समझता है, सवर्ण परशुराम को अपने बाप का माल समझता है, कुत्ता तक दूसरों के जूठन को अपने बाप का माल समझता है। यानि सबके बाप के माल केटेगराईज्ड है।
इसी कड़ी में नेता सबको धता बना अपना प्रथम स्थान बार बार लगातार कायम किये रखे हुए है, नेता मुसलमान के वोट को अपने बाप का माल समझते है। इसी परम्परा को को आगे बढ़ाते हुए अपने प्रधान मंत्री मनमोहन जी मंद गति से व्याख्यान दिया कि सरदार पटेल कोंग्रेस के थे, पहली बात मनमोहन जी जिस जनता को आप और आपके कोंग्रेस "आई" पिछले 40 सालो से बेवकूफ बना रहे है कि आप कोंग्रेसी हो तो यही पे आपकी जबान लड़खड़ा जानी चाहिए थी . जिस कोंग्रेस का होने का दम आप भरते हो तो इंद्रा जी ने सिंडिकेट के खिलाफ हो कोंग्रेस से अलग हो कोंग्रेस आई बना डाली थी, यानि तलाक ले के एलुमनी लेने के बाद भी दौलत पे बारबरा नजर बनाये हैं आप जो गैर कानूनी है, इसी प्रकार से कोंग्रेस से अलग हो श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इंद्रा से पहले ही आर एस एस बनाया था, तो सरदार पटेल, कोंग्रेस "आई" अर्थात आपके कैसे हुए ? ? ये तो हुयी ओछी बात का जवाब ओछी बात से .
अब आगे बढ़ते है, प्रधान मंत्री जी कुछ दिनों पहले मोदी ने अपने मंच से कहा था , आप से विचारो कि लड़ाई हो सकती है लेकिन आप अभी हमारे प्रधान मंत्री है, तो क्या आपने ये साबित नहीं कर दिया कि आपका कद और दिल भी प्रधान मंत्री हो के भी मोदी से बहुत छोटा है जो कि महापुरुषो को खेमे में बाँट रहे है। क्या आप ये कह रहे है कि आपको प्रधान मंत्री इस देश का नहीं बल्कि कोंग्रेस का माना जाना चाहिए ? क्या आप ये कहना चाहते है कि भाजपा, और गैर कोंग्रेस दल आपको प्रधान मंत्री मानने से इंकार दे ?
आप इस देश के प्रधानमंत्री है, टी वी पे आके रात के अंधेरो के मालिक सिंघवी ब्रांड टाइप का ओछा बयांन देना कौन सा बड्डप्प्न है?
खैर इससे जादा आपसे जादा आशा कि भी नहीं जा सकती थी, क्योकि जिस राजीनीतिक दल से आप हो वहाँ सिक्का (खोटा ही सही ) बस एक परिवार का चलता है, नकली गांधी परिवार का असली महात्मा गांधी के अभी जीवित चिराग तुसार गांधी किस चिड़िया का नाम है देश का अस्सी प्रतिशत युवा नहीं जानता होगा. नकली गांधी पुरे देश को अपने बाप का माल मानता है, तभी इंद्रा देश कि बेटी हो गयी और राजिव देश का बेटा , सोनिया देश कि बहु हो गयी (कोंग्रेसियो कि नजर में ) और राहुल देश का पप्पू, राहुल को पता है कि वो पप्पू है फिर भी देश पे अपने अधिकार जताने से नहीं चुक रहे, मुसलमान तो उनके बाप के नौकर के माल है
माना कि कोंग्रेस देश को अपनी बपौती मान खूब ,कोयला , जमीं आसमान हवा सब बेच रही है, आप लोग आपने राजीनीति के लिए कुछ भी करते रहिये कोई आपत्ति नहीं, कम से कम अब महापुरुषो पे एकाध्किार तो छोड़िये महाराज, नहीं तो गैर कोंग्रेसी दल आपको अपना प्रधान मंत्री मनाने से खारिज कर देंगे तब मत रोइएगा और न ही डुबियेगा, चुल्लू भर पानी में।
मेरा इस तरह का कुछ भी लिखने का रत्ती भर मन नहीं था मनमोहन जी, लेकिन आप अपने आपको शायद देश का प्रधान मंत्री बाद, पहले कोंग्रेसी मानते हो, तो इस तरह का कुछ तो बनता ही था.
आज सादर भी लिखने का मन नहीं कर रहा, यूँ ही लिख देता हूँ नीचे अपना नाम .
कमल कुमार सिंह
2 comments:
इसीलिए तो कमल को, तोप रही कांग्रेस |
बेमतलब क्यूँ तोप से, जगा रहे यह देश |
जगा रहे यह देश, लोक हित नारद घूमे |
लेकिन दारुबाज, पिए बिन संसद घूमे |
असली सिंडिकेट, दफ़न कब का हो जाती |
आई की कांगरेस, व्यर्थ ही रेस लगाती ||
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-10-2013 के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें
धन्यवाद
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