नारद: मुसलमानों ने किया बदनाम

Wednesday, July 4, 2012

मुसलमानों ने किया बदनाम

जब मै छोटा था तो एक गाना बड़ा सुनने मे आता था, "लौंडा बदनाम हुआ नसीबन तेरे लिए" कालांतर मे इसी गाने को दबंग मे बोल बदल कर प्रस्तुत किया गया, मुन्नी बदनाम हुयी " के नाम से. 

भाई बदनाम  होना  बुरा नहीं है या यों कहिये कि क्या नाम न होगा बदनाम होके .... लेकिन तकलीफ तो तब होती है जब सिर्फ बदनामी मिलती है और कुछ नहीं. कुवां खोदने पे पानी भी न निकले और हाथ अईंच जाए सो अलग. 

एक दिन मैं किसी कार्यवश कही जा रहा था, रास्ते मे एक औरत किसी मर्द से झगड़ रही थी. धीरे धीरे भीड़ बढती गयी, लोगो से पता चला की झगडने वाली औरत एक वेश्या  वेश्या थी और वह आदमी उसका ग्राहक, जो पैसे देने मे हिला हवाली कर रहा था. भीड़ से पता चला कि वह औरत किसी जमाने मे सभ्य थी, उसका खानदान भी साफ़ सुथरा था, लेकिन कालांतर मे आचरण गिरने कि वजह से मोहल्ले मे बदनाम हो चली थी, जितने लोगो को पता चला कि औरत पथभ्रष्टा हो चुकी वैसे वैसे सभ्य लोग उससे दुरी बनाते चले गए, कोई भी उसकी मदद करने से कतराने लगा. धीरे धीरे उसके घर वाले भी अन्य अपराधों मे फसते चले गए. सब मिला के एक दम छीछा लेदर हो चुका था. तब इस औरत ने इस बदनाम पेशे को अपनाने से  नहीं चुकी या यों कहिये उसको इसी को तुष्ट करने मे संतुष्टी मिलती गयी. अब ये तुष्टिकरण का धंधा अन्य व्यापार जैसे तो सम्मान जनक नहीं जहाँ ढंग के ग्राहक पहुंचे, जाहिर सी बात है जब धंधा ही गलत चुना है तो ग्राहक भी वैसे ही होंगे... खैर मुझसे क्या लेना देना, मैने चुपचाप अपना रास्ता पकड़ा, उसकी हालत वो जाने. 

आज शाम को किसी मित्र ने बताया की गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि वो गुजरात मे मुसलमानों के लिए बदनाम हो गए है फिर भी उन्हें  वोट नहीं मिलता.. खैर मुझसे क्या लेना देना उनकी हालत वो जाने. 


6 comments:

दीपक बाबा said...

बघेला को माया मिली न राम.

मनोज कुमार श्रीवास्तव said...

सच तो यह है कमल भाई कि मुस्लिमों की स्थिति बहुत ही खराब है, उनकी अशिक्षा ने उन्‍हें कहीं पीछे छोड़ दिया है, मदरसे तालीम नहीं देते बल्कि उनमें मजहबी कट्टरवाद भरते हैं, परन्‍तु सरकार की शिक्षा नीति किसी भी सुधार से परहेज करती है, समझ नहीं आता कि क्‍यूं राष्‍ट्र के सभी बच्‍चों के एक जैसी समान शिक्षा एक ही शिक्षा पद्वति से मिल सकती है, खास तौर से प्रारम्भिक शिक्षा, मदरसे, क्रिश्चियन स्‍कूल, सरस्‍वती शिशु मंदिर, सरकारी स्‍‍कूल, सीबीएसई, आईसीएसई, बच्‍चों को भी बांट कर रख दिया है इस समाज ने, इस शिक्षा पद्वति नें,

मेरे अपने विचार से सभी को कम से कम प्रारम्भिक स्‍तर तक, जैसे कक्षा पांच अथवा कक्षा आठ तक, एक जैसे सिलेबस से एक जैसी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए, इस सभी अलग अलग शिक्षा पद्वतियों के त्‍याग पर विचार होना चाहिए, फिर ये मुसलमान हिंदू और बाकी सब के बीच का भी बीच का बौद्विक अंतर कम हो सकता है

Amrita Tanmay said...

'बद' को ढक कर 'नाम 'हो ही जाता है..राजनीति में..बढ़िया आलेख ..

Sanju said...

Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.

सच्चित-सचिन said...

बहुत बढ़िया है आप की यह पेशकश ||

दिगम्बर नासवा said...

Vaghela Sahab ko pata hai rajniti kaise chankaani hai ... Fir kongres ke paas isse bada patta hai Bhi kahaan ... So fi Sadi aajmaya huva Bharat varsh mein ...