नारद: August 2011

Friday, August 26, 2011

जनता और पकड़ी लाल समोसे वाला



प्रभु जी को भी कभी कभी  पता नहीं कौन कौन सा सनक सवार हो जाता  है , आज कहा नारद तुम तो भ्रमण  करते रहते हो , कभी कभार कुछ खिला पीला भी दिया करो , की सेंत-मेंत में ही हमारी कृपा  हमेशा पाते  रहोगे ?? कृपा तो छोडो आजकल तो कोई  वोट भी नहीं देता सेंत में जाकर पृथ्वी पे देखि तब पता चलेगा .


मैंने पूछा , प्रभु आज्ञा दो  आपकी लंबी  जीभ के लिए तो कुछ भी करूँगा आखिर आप सत्तासीन जो है . अमरावती के स्वादिस्ट फल लाऊं  क्या ???


विष्णु : नहीं , इन्द्र एहसान जमाता है बदले में कुछ मांगता  है , पूरी तरह चालबाज़ हो चूका है  , जब देखो तिकडम में लगा रहता है , एक बात बताओ  , अगली बार कब होगा भारत में सर्वदलीय इफ्तियार पार्टी ???? उसी का पास दिला दो , सुना है बड़ा अछ्छा इन्त्जाम  होता है .

मैंने कहा : प्रभु पास तो मिल जायेगा, लेकिन कई समस्याएं हैं , सब चोर - पार्टी सप्ताहांत मनाने चली गयी है अन्ना को चकमा देने के चक्कर में , और  पास बिना चोरों की सरदारन मम्मी जी के पावँ दबाए बिना मिलना मुश्किल है जो की अभी बिदेश में सैर सपाटे पे  हैं   . क्या आप हाथ गंदे करेंगे ??? वहाँ तो सब करते हैं बड़े प्रेम से  उनका पावँ तो छोडिये सब उनके डुप्लिकेट सुपुत्र अमूल बेबी का भी पाव धोते हैं , वहा तो वो जो बोल दे वही सर्व्प्रथम है , इतना तो लोग आपको स्वर्ग में भी नहीं पूछते ..

वैसे प्रभु आपकी जीभ इतने लभी कैसे हो गयी ???

विष्णु : नारद !!!!!!! अपनी हद में रहो , इससे तो बेहतर है होता की मै  भारत के वर्त्तमान सरकार के मम्मी के यहाँ पैदा होता , तुम जैसे बड़बोलो के बोल तो नहीं सुनने पडते .


मैंने कहा : प्रभु जब आपको सब पता है ये नाराज़गी मुझपे क्यों ??? आखिर मै भी इस सृष्टि के रचयिता का पुत्र हूँ , थोडा बड़बोलापन तो बनाता है न प्रभु ?? .

विष्णु : आज के बाद तुम्हारा पृथ्वी  पे जाना बंद , पता नहीं कौन कौन से टोने लगवा के आ जाते हो वहाँ से . बस आखिरी बार जाओ , फिर आगे कुछ न कहूँगा .. तुम्हे जो भी चीज तुम्हारे जीभ को अछ्छी लगे लेते  आना .....

अब मै चला पृथ्वी की ओर..........

पहुंचते ही , देखा सारी जनता  एक ओर कही जा रहें हैं , मैंने पूछा  आप लोग कहा जा रहे हो मनुष्य और किसलिए ??

निरीह  जनता  : क्या बताएं यार , एक आधा अंग्रेज -आधा भारतीय , किसी पुरे अंग्रेज के पेट  से पैदा हो के संसद में अंड बंड बोलता रहता है , ४१ का हो चूका है , खानदान चलाने की छमता तो गयी उसकी  और देश चलने की बात करता है . चलो तुम भी चलो , लेकिन अपना ये गाना बजाना मत करना वहां , बोलने तो देगा नहीं कोई, तुम चल पड़े सारंगी ले के , ऐसा कुछ किया तो पिटे जाने की पूरी संभावना है .

मैंने कहाँ भाई , मै तो कोई  स्वादिस्ट चीज खोजने निकला हूँ ,

बोला तो स्वर्ग क्यों नहीं चले जाते  ??यहाँ की स्वादिस्ट चीज है आश्वाशन , चालबाजी , कमीनापन   , चलेगा ??

अब  मै क्या बताता ??? मै भी हो लिया साथ में ..

पहुचते ही कोई स्वादिस्ट चीज मिली , चहक के खाया , पूछा ये क्या है भाई ???

" ये अपने पकौड़ी लाल के यहाँ का समोसा है , खाओ दबा के - और अभी बीच में पानी मत पीना "

मैंने कहा भाई तुम्हारा नेता तो अछ्छा है , समोसे खिलाता है नाहक ही तुम लोग गालिया देते हो भाई  . ये भी कोई सभ्यता है ???

मनुष्य : खाक का अछ्छा है  ?? करोडो उठा के जमा कर रखा है , २००-४०० के समोसे भी न खिलाएगा ?? सोचता है की समोसे खिला के जनता को पटा लेगा , अपनी मम्मी से भी जादा मुरख है वहा अन्ना अनशन पे है और ये सब चोर  समोसे घर में रखे हुए हैं  , खाओ जम के , इसी का खाके फिर नारा लगाना है ..

मैंने तो जम के खाया , अपनी सारंगी उठाई , और दो चार फेटें में भी डाल लिया प्रभु के लिए , नारा लगाते  प्रस्थान कर दिया " अन्ना तुम अनशन करो - समोसे हमारे (सरकार ) पास है  .


कमल

२६ / ०८ / २०११

हम तुम और , और चूहा बिल्ली का खेल :




विष्णु नारद से : नारद कोई अपडेट मिला भारत का , आजकल उसके भविष्य की बड़ी चिंता रहती है मुझे है , सुना है घोंघा बसंत उर्फ  अमूल बेबी ने कुछ कहा आज अपनी मम्मी के भाषा में ....


नारद : अन्ना  अन्ना , प्रभु क्या बताऊँ , बात ही पूरी हो पाई उसकी , भुला गया बीचे में की क्या बोलना है , वहां परदा भी नहीं था की पीछे से कोई प्रौन्टिंग कर देता , खैर  सुनने में आया हैं , भयंकर  जंतु पार्टी ने खुल के समर्थन कर दिया दूसरे गाँधी का ,

विष्णु : ये ऊंट करवट बैठा कैसे ??


नारद : प्रभु   सरकार के गिरगिट की तरह रंग बदलने के कारन ऊंट भी करवट  बैठ गया  .

विष्णु : जरा विस्तार से बताओ नारद गोल गोल बातें समझ में नहीं आती , हम पालन कर्ता हैं , सर्कार नहीं की तुम्हारी  कुटिल  बातों को समझे .

नारद : प्रभु तो सुनिए , एक बार तो सरकार बोलती है की बातें मान ली , फिर वही गिरगीरटाने स्टाइल में में रंग बदला और कहा कुछ टाइम चाहिए , ताकि समय और बर्बाद हो , सेकेण्ड गाँधी के समर्थक उनके मुह में अन्न ठूंस दे , आखिर मारना तो वो भी नहीं चाहते उनको , सरकार एक दम अपने इन्द्र जैसे हो गयी वहाँ  की , आपके एक बहुत पुराने पुत्र चाणक्य के पुरे नियमों को फालो कर रही है , सुना है रात में कुछ मुस्टंडे भी भेजे थे उनके गिरोह में उनकों  धूमिल करने हेतु .

पहले तो कबूतर बाजों से चिठ्ठी मंगवाई अन्ना जी से , और उसका खुद का कागजे खतम हो गया , जबाव तक नहीं दिया .

फिर अगले ही दिन मुन्नू ने सेकंड गाँधी को सैलूट भी मारा , ऊपर से एक उदंड से भी माफ़ी मंगवा दी , और संसद में सभी पार्टयों से सहमति ले के अनशन तोड़वाने में पूर्ण सहमति ले ली   .. यानि "इज्जत दे के आन्दोलन बंद" .

भयंकर जंतु पार्टी समझ  गयी की इफ्तियार पार्टी वाली डील कैंसिल कर रही है सरकार , अन्ना को गले लगा के अगले साठ और साल मलाई खाने के चक्कर में है ,   ये देख उन्होंने ने भी पूर्ण सहमति दे दी , जो की मुन्नू के गली की हड्डी बन गयी , न उगलते बन रहा है न निगलते . झटके फटके में आखिर चर्चा करा दी , बाकि घोंघा बसंत का तो आपको मालूम ही है



विष्णु : तो क्या अन्ना खुश हुए ??

नारद : प्रभु , अन्ना बच्चे नहीं  नहीं है , उनको सरकार का इज्जत रूपी लोली पोप नहीं ,  जन्लोक्पाल चाहिए .   " क्यों घबराता है प्यारे इज्जत ले के ?? - पकड़ा जाये , छूट जा इज्जत ले के "  वो समझ गए की इज्जत देने के बाद उनसे लिखित आश्वाशन माँगा जा रहा हैं , जो इज्जत लुटने की पूरी तयारी है  , जैसे बाबा के साथ किया था , बाबा तो कूदान मुद्रा में भाग लिए लेकिन ये ऐसे न मानेगा , आखिर जनता जनार्दन भी तो है .

विष्णु : तो क्या स्वर्ग से अश्विनी कुमार को भेजा जाये , मुन्नू एंड कंपनी के दिमाग का इलाज करने ??

नारद : ना प्रभु ना ,  मान लीजिए सरकार उनको भी अपने कुटिल जाल में फांस लिया , सूरा , सुंदरी या इफ्तियार पार्टी दे डाली और वो वहीँ के हो कर रह गए तो  , तो आप  स्वर्ग के वैद्य से भी  हाथ धो बैठेंगे . भ्रस्चाटार के विशेषज्ञ अन्ना ही हैं , सम्हाल लेंगे , हम जैसों का पृथ्वी पे जाना ठीक नहीं है इस परिपेक्छ्य में ..

चलिए प्रभु आप छीर सागर र की ताज़ी हवा लीजिए , हम चले रामलीला मैदान , .. अन्ना अन्ना ..

कमल

२६/ ०८ / २०११

Thursday, August 25, 2011

नारद: नेता

नारद: नेता: एक दिन मछरदानी के अन्दर एक मछर आ गया अभागा !! मैंने सवाल दगा , हे दूत तुम कोन हो ?? कहा मैं मछर हूँ , खून चूसता हूँ , बीमारी फैलाता हूँ ,...

Wednesday, August 24, 2011

कहानी एक जंगल की :




एक बड़ा सुन्दर जंगल था , लेकिन बस एक बात गलत थी , की वाहन का शाशन एक लोमड़ी देखती थी अपने मोहक भेडिया टीम के साथ , और जंगल वासियों को तंग कर रखा था ,

आखिर एक दिन ऐसा आया जब जंगल के बाकि पीड़ित जंतु , शेर हथी इत्यादि ने शांति पूर्ण ढंग से विद्रोह कर दिया , और जंगल के सारे जंतुओं का पर्याप्त समर्थन मिला , मिला जानवर जंगली रस्ते पे आ गए कुछ पेड़ पर चड के उग्र विरोध करने लगे ... समस्या विकराल थी.
लेकिन जैसा की आम तौर पे होता है लोमड़ी स्वभाव से चालक मानी जाती है उस समय किसी दूसरे हंगल में गयी थी अपने टेंसन का इलाज करने , उसने तत्काल भेडिया को आदेश दिया की सभी पार्टियों को बुला के मीटिंग कम और पार्टी जादा दी जाये .

भेडिया ने सबसे पहले "भयंकर जंतु पार्टी" के अध्यछ लाल भेडिया को फोन मिलाया " हेल्लो जी आप आओगे न सहमती न देने के लिए , आपको तो पता है हम लोग सब झूझ रहे हैं , कही शेर हाथी की बात लागु हो जायेगी तो हम तो जायेंगे ही , आप भी न बचोगे " लाल भेडिये ने मूछों पर हाँथ फिराया , बोला " यार मलाई तो सब अकेले खाते हो ये बताओ कुछ भोजन पानी का जुगाड किया है की नहीं ?? "

मोहक ने कहा जी , लोमणि जी के आदेश पर सब कुछ तैयार है "

लाल भेडिया ने कहा , अभी तो पेट भरा हुआ है , कल रखिये ताकि हम भोजन पानी बंद कर के आपके व्यंजनों का लुफ्त उठा सके ..."
अन्तोगत्वा अगले दिन सबकी पार्टी राखी गयी , जिसमे अंजीर , काजू , किशमिश , खरगोश, हिरन आदि का मांस की पूरी व्यवस्था थी .
पहुचाते सारे भूखे भेड़ियों ने जम के अपने एक दिन के खाली पेटों को भरा , फिर लाल भेडिये न कहा , जी जनाब कहिये क्या करना है इन सब का ?????

मोहक ने कहा , भाई स्थिति छुपी नहीं है , तुम भी चोर - हम भी चोर तो आखिर हुए न मौसेरे भाई ?? तो इस घडी में साथ आपलोग न देंगे कौन देगा ?? सब मिल के किसी तरह इन शेर हथ्यों को कुचलने का उपाय बताओ ..... लाले ने कहा , ये काम पहले न किया गया ?? आपसे ??

अब एक काम करिये , एक अध् हफ्ता और दाये बाएं कीजिये , अपने अप सब अपने अपने बीवी बच्चों के पास पहुच जायेंगे , वैसे ये बताईये ये किस प्रजाति का खरगोश था ?? बड़ा स्वादिस्ट था , अगली बार फिर एक मीटिंग कीजिये , हम जरुर आएंगे ...... ,
अब आगे की इस जंगल कहानी को बाकि आप लोग पूरा करें .... क्या शेर हाथियों को दबाया जा सकेगा ???? क्या भेडिये अपनी चाल में कामयाब हो पाएंगे ?????

कमल , २४ / ०८ / २०११ 

नारद: कौन बनेगा करोरपति और मम्मी जी की टीम

नारद: कौन बनेगा करोरपति और मम्मी जी की टीम: आज कल एक सीरियल चल रहा है " कौन बनेगा करोंरपति ", ये खबर उड़ते उड़ते कोंग्रेस के पास भी पहुची , तुरंत आनन फानन मम्मी जी ने एक मीटिंग बुल...

नारद: जन लोकपाल बनाम सौतेला जनलोक पाल :

नारद: जन लोकपाल बनाम सौतेला जनलोक पाल :: मै नारद , नारायण नारायण करते हुए आकाश गंगा का भ्रमण कर रहे था , तभी मेरी नज़र पृथ्वी पे भारत देश के रामलीला मैदान पे पड़ी , देख कर चकित...

जन लोकपाल बनाम सौतेला जनलोक पाल :



मै नारद , नारायण नारायण करते हुए आकाश गंगा का भ्रमण कर रहे था  , तभी मेरी  नज़र पृथ्वी पे भारत देश के रामलीला मैदान पे  पड़ी , देख कर चकित रह गया   की जहाँ हर साल प्रभु के मरे रावण का पुतला जलाया जाता था आज वहाँ सब "अन्ना -अन्ना"  कर रहे हैं , चंचल स्वाभाव बस अपने को रोक न पाए , उतर आये पृथ्वी पे .


आते ही भेष बदला , गंजी लुंगी में बड़े जंच रहे थे हम , तभी किसी ने मुझे  पीछे से अन्ना वाली टोपी पहना दी ... चौक के बोले भाई टोपी तो हम स्वर्ग में पहनाते है कभी ब्रम्हा को कभी विष्णु को , कभी शिव को .. ये कोन वाला टोपी है , उस मनुष्य ने झंडा हिला हिला के बताया की ये अन्ना की "एंटी -करप्शन" टोपी है , इसके पहले नेता लोग जनता को टोपी पहनते थे , अभी अन्ना के साथ हो के जनता का  , नेताओं  को   टोपी पहनाओ अभियान"   जारी  है .

सुन के मै  मुस्कराया  बोला  यानि  भारत का इन्द्र भ्रष्ट है ???

स्वर्ग से आया जान उस मनुष्य ने मुझे "टी वी" रूम तक पहुचाया , किसी सितारा समाचार पर पे देखा लोग वार्तालाप  में में व्यस्त थे , कोई किसी की नहीं सुन रहा था , मुझे तो अपने स्वर्ग की याद आ गयी , कुछ भी अलग नहीं यहाँ तो . तभी लगा की लोग किसी नियम कानून की बात कर रहे थे , किसी अन्ना की , और  " रॉय  " की ,       मैंने पूछा भाई , अन्ना का जनांदोलन देख तो मै पृथ्वी पे आया , अब ये बूढी हड्डियों वाली नयी अप्सरा कौन है जो  अपना बिल भी दिखा रहीं हैं चश्मा लगा के ?? उस मनुष्य ने बताया , अरे यहाँ का इन्द्र बड़ा घाघ है , अभी तक तो पता नहीं कितने मीटिंग बुला के काजू किशमिश तोड़  चूका है , और इस बुढिया को भी भेजा है अडंगा लगाने , सुनाने में आया है की पहले ये मम्मी जी के यहाँ बर्तन  माजती थी , इतने दिन तक पता नहीं कहा थी , लेकिन अब ये भी बहती गंगा में हाथ धोने की सोच रही है अपना बिल ले के , मम्मी जी के कहने पे .

मैंने पूछा भाई ये मम्मी जी कोन है ??? उसने बताया ये अपने  इन्द्र की माता जी है , अभी जान बचाने के लिए भारत छोड़ के भागी हैं , एक तरफ अन्ना हैं जो देश के लिए जान देते हैं और दूसरी तरफ ये मम्मी जो जान के लिए देश छोडती है बीमारी का बहाना बना के ..

मैंने पूछा भाइ अब क्या होगा ??? उसने कहा की होगा क्या ?? जैसे इन्द्र की पगड़ी उछाली वैसे इसका चश्मा भी टूटेगा ...

 सुन के मै  मुस्कराया  बोला ..एक आध अन्ना हमें भी दे दो स्वर्ग ले जाना है, हमारा इन्द्र भी बड़ा कुकर्मी है मुआ , कुछ भी करता है गद्दी बचने के लिए . कभी विश्वामित्र का ताप भंग करता है , कभी कुछ , कभी कभी तो गठबंधन के लिए , विष्णु जी के पास भी दौड लगा देता है .

इसी के साथ मै भी अन्ना अन्ना करके के स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर दिया आखिर साडी बातें विष्णु जी को जो बतानी थी , अन्ना अन्ना  ( नारायण नारायण तो शायद मै भी भूल जाऊं  कुछ दिनों के लिए )

Monday, August 22, 2011

कौन बनेगा करोरपति और मम्मी जी की टीम


आज कल एक सीरियल चल रहा है "कौन बनेगा करोंरपति ", ये खबर उड़ते उड़ते सरकार के पास भी पहुची, तुरंत आनन फानन मम्मी जी ने एक मीटिंग बुलाई और पूछा की कोई जाना चाहेगा ??? इस कपि सुब्बू  ने मुह बिचकाते हुए कहा, समय की बर्बादी है, कोई एक-दो करोर तक तो कोई पहुचेगा नहीं, उसके लिए सुना है की कामन सेन्स चाहिए होता है, दूसरी बात ये है की मम्मी जी मान लीजिए कोई एक आध करोर जीत भी गया तो उससे क्या होगा, इससे कोई गुना तो अपने "रजा " मजा मजा में ले आते है, अपने पास तो पूरी फ़ौज है पैसों के लिए, और मेहनत भी नहीं करना होता है, बस इधर का माल सीधे स्विस में डाल दो, बस कभी कभार कोई बूढा भगत बिना बाल बच्चों वालों की नजर पड जाती है  तो कोई बात नहीं सम्हाल लेंगे, वो क्या जाने की हम मरने के बाद कुछ तो ऊपर और कुछ अपने बच्चों के लिए और मम्मी जी आप भी तो हैं, के लिए  छोड़ जातें हैं .  

मम्मी जी ने कहा - इसकी खबर तो मुझे विदेश में ही  मिल गयी थी  जब मै अपने टेंशन का इलाज करने गयी थी, बूढा बहुत चिल्ला रहा है, चिल्लाने दो, देखते हैं कितना चिल्लाता है, उसको नहीं पता की हम भी पुरे "निघर्घट" हैं, और इस सब का असर पडने से तो रहा , क्यों दिग्गी ??? दिग्गी की और देखते हुए कहा .. दिग्गी ने कहा, जी मम्मी जी बात तो सही लेकिन मुझे जाने दीजिए . आपको तो पता ही है जब से मध्य प्रदेश की जनता ने मुझे लात मारा है मै विछिप्त सा हो गया हूँ कुछ भी उल जलूल बोलता रहता हूँ, और कोई पद होता तो रोजी रोटी चल जाती, यहाँ तो इसके भी अवसर नहीं बस आपके रसोईं से जो बचा कुछा बच जता उसी से हम और हमारे बाल बच्चे गुजर कर रहें हैं .

इतना सुनते ही मम्मी जी ने करुनामय आँखों से कहाकी रोना मत दिग्गी, आज के बाद इस बात से तुम्हे दो पाव रोटी जादा दी जायेगी और कुत्ते का बिस्कुट भी मंगवा लेती हूँ, फिर भी तुम जाना चाहते हो तो जाओ  ... मै  सच्चर जी से बोल दूंगी, आखिर पुराने सम्बन्ध जो ठहरे हमारे उनसे .

तभी कही से दारू के नशे में मनि टावर  जी झूमते हुए आ गए, बोले नहीं मम्मी नहीं !!! मेरी जनरल नालेज जादा है दिग्गी से, मै तो सब जनता हूँ जो कोई नहीं जनता , यहाँ तक की बूढा  भ्रष्ट  है ये बात भी सबसे पहले मुझे ही पता चली थी, दिग्गी को क्या पता, इसको तो भौकने से फुर्सत ही नहीं मिलती. सुनते ही दिग्गी आग बबूला हो गए और एक हाथ मनि टावर का कालर और दूसरे हाथ से मम्मी जी का पावँ पकड़ लिया ..

.ये सब देख कपि  कुटिल मुस्कान में बोले, यार इतना जोर जोर से मत चिल्लाओ, एक तो वैसे ही परेशांन हैं हम सब  बूढा के  डंडा से, ऊपर तुम्हारी आवाज जनता तक पहुची तो तुम दोनों तबेला में चले जाओगे,..तभी मम्मी  जी की बाई प्रतिमा आ गयी, बोली आप लोग भूखे पेट हो इसलिए लड़ रहे हो, रुको मै कुछ बनाती हूँ, तब  कही जा के खाने के नाम पर महौल ठंडा हुआ ...

कमल २२ / ०८ / २०११