नारद: April 2011

Wednesday, April 27, 2011

बचपन



बचपन और जवानी में अन्तर है वैसे , रामदेव और नित्या नन्द में जैसे ,

बचपन में जिस पडोसी के लड़की को पीटा करते थे एक टोफ्फी के लिए , की हम छोटे न हो जाये ,
आज उसी को डैरी मिल्क देते हैं , कहते हैं "कुछ मीठा हो जाये" ,

बचपन में खेलते हम खलियानों में वो अब बस जहन में हैं ,
आजकल खेत भी तो फेसबुक पे है ,

बचपन का वो एक रुपया , ख़ुशी महीनो लाता ,
अब तो डोलर में भी महिना नहीं चल पाता ,

आओ लगाये कोई जुगत चले उसी बचपन में ,
नहीं तो दुनिया की मार पड़ेगी अबकी इस उम्र 55 में

नेता


एक दिन मछरदानी के अन्दर एक मछर आ गया अभागा !!
मैंने सवाल दगा , हे दूत तुम कोन हो ??
कहा मैं मछर हूँ , खून चूसता हूँ , बीमारी फैलाता हूँ ,

मैंने कहा , सीधे सीधे क्यों नहीं कहते "नेता" हो ,
अभी भी मुर्ख बनाते हो , खून चूस के जाते हो ?
बोला हम तो बस आप लोगो पे निर्भर हैं , वों तो हमसे भी बड़े हैं ,
पूछा मैंने कैसे ? बोला हमको भगवन ने बनाया , उनको आप ने ,
पहले आप उनको बनाते है फिर उन्ही से बनते हैं
हम तो बस खून चूस्तें हैं , वो देश लूटते हैं ,

हमने कहा की उन्ही को चूसो , जो हमको चूसते हैं ,

उसने कहा आप तो आप हैं , ,
हम उनका कुछ नहीं कर सकते , वो हमारे बाप