नारद: October 2011

Saturday, October 22, 2011

जन्नत कि हूर




दीपावली आते ही पतियों कि जी के सांसत हो जाती है, हफ़्तों पहले अनावशयक चीजों कि लंबी सूचियाँ तैयार कर दी जाती है, और रोज शाम घर जाते डर लगता है कि कही कार्ड न मांग लिया जाए. 

खैर आज दोपहर कार्यालय में फोन आया "आज जल्दी घर आ जाना, सामान लाना है, सीधे जाना, इधर उधर मत देखना, तुम मर्दों कि नजर ठीक नहीं होती. तुमलोगों को घर कि जोरू मैली कुचैली और बाहर कि हूर लगती हैं."
तुम चुप भी करो, जब देखो  दिग्गी कि तरह ओसामा जी टाइप कि बाते कहती रहती हो , अरे हर मर्द गद्दाफी नहीं होता. झल्लाहट में फोन रख के बाहर निकला ही था तब से मेरे मित्र लातिफुर्ररहमान (जिनको हम प्यार से लफ्फु कहते थे )  मिल गए, बोले "चलो गुरु पान खाते हैं पन्नू चौरसिया के यहाँ से, कसम खुदा खा के जन्नत कि सैर करोगे"

मियाँ  दिमाग न खराब  किया करो  अब जन्नत के नाम पे पान  भी खिलाने लगे ???

लफ्फु : क्या बात करते हो मियाँ ??? इतना गरम क्यों ??सब ठीक तो है न ???

मैंने कहा :  यार  अखबार नहीं पढ़ते , तस्लीमा  ने कहा है कि हर मुस्लिम औरत को ७२ पुरुषों  के संसर्ग का लुफ्त जमीं पर ही लेना चाहिए, क्योकिं कुरआन में महिलाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है.   मौलवी और मुल्लों ने शोर मचा रखा है, इसको को बंगलादेश से तो निकला ही था, अब लगता है उसको कहीं भी हिठने ने देंगे. भाई यदि कुरआन कहता है कि जो इस्लाम का पालन करे उसे मार दो तो जन्नत में तुम्हे हूरें मिलेंगी जो तस्लीमा से भी जादा भ्रष्ट और और सुन्दर होंगी तो तो मै भी तस्लीमा का समर्थन करता हूँ यदि ऐसा नहीं है तो    भरकस विरोध.

लफ्फु : भाई कुरआन का ये मतलब नहीं है, बस कुछ मुल्लाओं ने पता नहीं क्या साधने के लिए ऐसा बवंडर फैला रखा है कि पूछो मत.

मैंने कहाँ : अब ये तो तुम्हे ही पता होगा. यदि मनो ऐसा है तो इस्लामिक महिलाओं को जन्नत जाते ही खुदा से जेहाद करनी चाहिए कि ५० %  आरक्षण यहाँ भी दें, आखिर हक तो बराबरी का बनाता है न, उन्हें भी अधिकार है ७२ तंदरुस्त जवान मर्दों के साथ सुविधाएँ उठाने का.  ये तो हद है भाई, और मान लो कोई मुस्लिम महिला या पुरुष समलैंगिक हुआ तो क्या करोगे ??? कुरआन को संशोधित कराओ और उनके लिए भी जन्नत में ७२ समलैंगिक तैयार करो. आखिर ये सब जेहाद के नाम पर ही तो हो रहा है. भाई तस्लीमा ने जरा सी सही बात क्या कह दी इन मौलवियों ने शोर मचा के रख दिया है,यदि यही बाद कोई  अगर एसी कोई टिप्पड़ी हिंदू के बारे में कर दे तो आप लोग ही उसे सेकुलर बोलतें हैं. एम् हुसैन कि नग्न हिंदू  पेंटिंग्स को कला का नाम दिया गया और उसको बचाने भी  मुसलमान ही आये. भाई बड़प्पन तो तब होता जब आप भी उसका विरोध करते. आपका ही कोई यदि दूसरे धर्म के बारे में उल्टा सीधा कहे तो तो ठीक और अपने धर्म कि खामियां उजागर कर दे काफिर ??  फिर कहतें हैं कि मुसलमानों को शक कि नजर से देखा जाता है. . अलगाव वादी गिलानी का कभी विरोध किया है आपने ???? कभी यदि किया होता तो शक करने कि शायद कोई वाजिब वजह होती. आप लोगो के लिए धर्म देश से बढ़ कर है. 

जब यहाँ बाबरी मस्जिद गिराया तो बंगला देश में हिन्दुवों के साथ अत्याचार हुआ. ये कहाँ का नियम है, कि कुकर्म यहाँ के हिंदू करें और सजा वहाँ के हिन्दुवों  को मिले. पाकिस्तान और बंगलादेश में आज भी हिन्दुवों के साथ अत्याचार हो रहें हैं तो हम लोग आपको यहाँ हिकारत  भरी नजर से तो नहीं देखते ????

आज सिर्फ हिन्दुवादी होना इस्लाम का विरोध करना कहलाता है, जबकि इस्लाम का गैर मुसलमानों को मारना खुदा कि सेवा ??????

भाई किसी हिन्दुवों या ईसाईयों के ऐसे संगठन  का नाम सुना है जो जेहाद के तर्ज पे हिन्दाद करतो हो या किसी ईसाई को जो इताद करता हो ?

शक का कारन हैं मिया.  आप इस्लाम जेहाद से बढ़ाते हो, गैर मुस्लिमो को मार कर, जबकि ईसाई लोगो कि सेवा कर के, यही अंतर है आप में और ईसाईयों में नहीं तो वो भी शक कि नजरो से देखे जाते.

हो सकता है मेरी सोच गलत हो , लेकिन जो सिनेमा दिख तरह है उससे तो यही सोच बनाती है, जिस दिन आप लोग किसी दूसरे धर्म का सम्मान करना शुरू कर देंगे, विश्वास मानिए शक कि कोई गुंजाईश न रहेगी.

लफ्फु : मियां  मैंने जन्नत, का नाम क्या ले लिया आप तो पिल पड़े, चलिए चौरसिया का पान खिलाते हैं आपको और जन्नत कि सैर अपने आप हो जायेगी. गुस्सा थूक दिजिये, बस कुछ चालबाजों के चक्कर में पड़ के सब गुड़ गोबर हो जाता हैं.

इतना सुनते ही मै लफ्फु भाई के साथ जन्नत का मजा लेने चल दिया.

Friday, October 21, 2011

नवाब कसाब


नेता दिग्गु  जब  लेटेस्ट वाला घोटाला कारने के बाद रुपया लेके जब स्विस जमा कराने गए, तो उनकी  नजर लोबी में बैठे  एक महिला पे पड़ी, कजराई आँखे, छरहरा बदन, गोरा सुर्ख रंग, कोई हूर  थी शायद  जाना पहचाना चेहरा सोच नेता जी नजदीक गए, और फटाफट एक घटिया कसीदा पढ़ दिया  .

"कसम खुदा कि ऐसा हसीं चेहरा न देखा इस ज़माने में ,
खुदा ने भी किया होगा  घोटाला तुझे बनाने में,
लूट के ज़माने भर कि शोखी, तुझे इनायत कि,
मिल जाये तू तो घोटाला न करू इस ज़माने में"

ला हौल विला कुवद , कौन हैं आप मिया और दो बच्चों कि मा को भी नहीं छोडते, आपको इल्म न होगा मै कौन हूँ, पुरे दुनिया में डंका बज रहा है मेरी खूबसूरती का आजकल, ओसामा ने मुझे छेड क्या दिया ओबामा ने मौत कि सजा दे दी उसको,

नेता जी : माफ कीजियेगा मीना अब्बानी जी मै पहचान नहीं  पाया आपको आपकी खूबसूरत नज़रे पहली बार जो देखा बिना चश्मे के, "काश मै आपका चश्मा होता , हरदम नजरो के साथ होता"  पिछली बार जब भारत में मुलाकात हुआ था तो मैंने मन्नत मांगी थी कि दुबारा आपसे मुलाकात हुआ तो कसाब  कि सजा आगे बढ़वा दूँगा. भला हो हमारी घोटालाबाज़ आदतों कि  जो छूटती नहीं, वरना मुलाकात मुमकिन न था. कहिये आप यहाँ कैसे ???

मीना अब्बानी :  मै सत्ता में नयी नयी आयीं हूँ , मुझे भी इस खाते कि जरुरत पड़ेगी सो पहले ही तयारी कर लूँ, कसाब  से याद आया, कि कैसा है वो ?? आपलोग ख्याल तो रखते हैं न ?? सुना है सुकून से है. मौज कर रहा है.
वास्तव में आपकी सरकार भली है जो  एक जेहादी कि सेवा करती है, जेहाद तो उसने जन्नत में जाने के लिए कि थी लेकिन आपने उसको जेल में ही जन्नत दे दी.  इससे हम पूरी तरह से इत्मीनान  है कि आगे भी ऐसा ही करेंगे, मै जल्द से जल्द ये सुझाव अपनी सरकार को दूंगी कि जेहादियों कि जन्नत भारतीय  जेल है , राजनीति मुस्लिम तुस्टीकरण कि निति के आगे देश प्रेम छोटा है, वहाँ के कुछ हमारे मुसलमान एजेंट भी हमें सपोर्ट करेंगे, मुआ अमेरिका वाला तो मानता  ही नहीं है, हमारे यहाँ भी आ के मेरे आशिक को जहन्नुम पंहुचा दिया, हमें तो इल्म ही न था नहीं तो उसको सुझा देती कि टावर उड़ाने से बेहतर है भारतीय मारो,  वहाँ जादा स्कोप है, कम से भारतीय जन्नत तो मिलता. आपलोगों ने पुरे विश्व के आतंकवादियों को एक नयी प्रेरणा दी है, और हम आपका समर्थन करतें हैं.

नेता जी : आप कहाँ इस खुशनुमा माहौले इश्क में रश्क मिला रहीं हैं ??  मेरा इश्क कबुल करे और हम एक नयी जन्नत बनाये मै आपके बच्चों का पूरा ख्याल रखूँगा और अपने जैसा खुर्राट घोटालेबाज  नेता बनाऊंगा, मेरा गुण और आपका कमीनापन जब साथ मिलेगा तो खुदा  कसम "मिनी ओसामा और मेरा" बड़ा नायाब मिश्रण होगा, लगे   हाथ वो काम भी हो जायेगा जो आज तक किसी नेता ने नहीं किया , भारत- पोर्किस्तान दोस्ती.

मीना अब्बानी : नेता जी, बात तो बुरी नहीं आपकी लेकिन लेकिन आपको मेरी  कुछ शर्ते माननी पड़ेंगी,

१.आपको अपना धर्म परिवर्तन करना होगा. क्योकि जब भी कोई हिंदू किसी मुस्लिम से विवाह करता है तो धर्म परिवर्तन हिंदू का ही होता है. आपको इसका इत्मीनान करना होगा.

२ . कुछ चिल्लर मेरे पास पहले से ही हैं फिर भी मै परिवार नियोजन न अपनाऊंगी,  हमारे धर्म में जनसँख्या बढ़ाना लिखा है, ताकि हम जादा से जादा हो के अलगवाव वादी निति लागू कर सकें, इतिहास गवाह है जहाँ भी हमारी थोड़ी सी जनसँख्या बढ़ी है, हमने वहाँ अलग होने के लिए जेहाद शुरू किया है, चाहे वो चेचन्या हो या भारत.  हाँ यदि कुछ बुद्धिमान इस्लामी इसका विरोध करें भी तो हम बर्बरता पूर्वक  उनको मिटा देतें हैं. हमारे आतंक के आने में आने वाले इस्लामी तक को तो हम छोडते नहीं तो बाकियों कि क्या बिसात ?? और इसमें भी आप साथ साथ रहने का इत्मीनान कराएँ .

३ . हम जैसे स्वार्थी, जहाँ  रहते हैं कुछ न कुछ बयान बजी एसी करतें हैं जिससे हिन्दुओ कि भावना आहत हो और माहौल बिगड़े, आखिर हिंदुओं में भी मूर्खो कि कमी नहीं है, १ % मुर्ख हिंदू और मुसलामनो का मिश्रण काफी है ९९ % सीधे- सरल  मुसलामनो और हिन्दुवो  के बीच भेद पैदा करने के लिए. इसमें भी आपको हमारे साथ रहने का इत्मीनान करना होगा .

४ . हम कुरआन के नाम पे लोगो को बहकाते हैं फुसलाते हैं ये सब चालबाजी आपको सीखनी होगी. हमें हर संभव कोशिश करनी होगी कि हिन्दुवों और मुसलमानों में विद्वेष हो, मै मुसलमानो का विंग देखूंगी और आप हिन्दुवों का.  इतना तो हमें भी पता है कि भारत में कोई हिंदू गलती करे तो तो कोई धर्मगुरु समर्थन नहीं देता , अलबत्ता अजमल और कसाब तक को वहाँ के कुछ नेता टाइप के मुल्ला मौलवी समर्थन करते हैं जो वास्तव  नेपथ्य से हमारे ही पोषित होतें हैं और  आप जैसे राजनेता वोट बैंक कि राजनीति में कुछ नहीं कर पाते,  जिससे  बाकी के सीधे साधे  इस्लाम  कौम को वहाँ  शक कि नजरो से देखा जाता है, इससे  हमारा काम और भी आसान होता है.

नेता जी को  अब तक तारे दिख रहे थे, गटा  गट हैंसे के घुट गटक के बोले :

" ये शर्तें है यां अजेंडा ??? इतना तो हम चुनाव लडने के लिए भी नहीं करते इतनी चालाकी काम न आयेगी , हमारे मोहब्त को तिजारत के तराजू से तौलती हो, हम कमीने है पर इतने भी नहीं,कौम न रहा तो घोटाला कहाँ से करेंगे ??? बेहतर है तुम पहला वाला उपाय ही लगाओ , और यहाँ हमले करवाओ , मुद्दे मिलते रहेंगे हम लूटते रहेंगे, वैसे भी वहाँ जादा नहीं रहने वाले, जनता जाग चुकी है चाहे हिंदू हो या मुसलमान सब समझते हैं, अब हमारे -तुम्हारे जैसों कि नहीं चलनी, मेरा तो ये अंतिम घोटाला था, तुम भी सुधर जाओ, नहीं तो गद्दाफी का हाल तो देखा होगा न , ४१ सेकेण्ड भी नहीं लगा ४१ साल के शाशक का जान लेने में, हमारा डेथ टाइम तो फिर भी १ मिनट होगा  ६० साल से ऊपर जो राज किया. काउंटर पे जाईये आपका नंबर  आ गया है .  

Thursday, October 13, 2011

जनमत संग्रह और पप्पू कि पिटाई :

नारायण नारायण , प्रभु आज आप चिंतित क्यों दिख रहे हैं ??कोई विशेष कारण ??

विष्णु : नहीं नारद बस पुराने जख्म याद गए , जब मैंने  लक्ष्मी को पाने के लिए  कछुए का भेस  बनाया , और मंदार जैसे पर्वत को धारण किया , हलाकि सख्त होने कि वजह से कुछ हुआ नहीं , लेकिन निशाँन  तो पथ्तर पे भी पड़ जाते हैं , इसलिए एक तरफ  हो के लेटा रहता हूँ बांह  के बल . , इतने के बाद भी असुरों से लड़ाई लेनी पड़ी , यादे तो यादें है , आ ही जाती हैं , दिल को रुला जाती हैं !

प्रभु सुना है जब दूसरे का दुःख जादा देखने को मिल जाये तो अपना कम लगने लगता है , आईये आपको आज पृथ्वी दर्शन कराता हूँ , कौन जाने दुःख कम हो आपका  ......

और नारद जी ने समुन्दर में एक थाप दी : चित्र उभरा   : इंडिया टी वी : 
आज तीनो युवको को कस्टडी में , जिन्होंने कल  पप्पू  कि पिटाई कि थी , 

पांच मिनट बाद , "   पप्पू के समर्थकों पे पड़े लात जूते "

प्रतिक्रिया  :- 
  खान्ग्रेस     " पप्पू से सहमत नहीं , लेकिन पिटाई उचित नहीं ( अंतर्मन - बहुत सही हुआ बड़ा अन्ना अन्ना करता था ) 
खाजपा : मंदमोहनावस्था (कोई प्रतिक्रिया नहीं ) 
टीवी : निंदनीय , 
प्रेस : निंदनीय : 
जनता : गयी तेल लेने , जनमत में जनता का  का कोई मत नहीं लेता . 
ब्लॉगर : मिलीजुली प्रतिक्रिया : 

तभी शेषनाग ने जम्हाई ली और कनेक्शन टूट गया .. 

" क्यों प्रभु कुछ राहत मिला " ????
विष्णु : ये गलत है , किसी के अपने विचार हैं कुछ बोले , इसका ये मतलब नहीं कि आप लात घूसों से पिटाई करोगे , ये कोई तरीका है भला .. 

क्यों प्रभु ??? जवालामुखी फूटे तो गलत , और अंदर ही अंदर उबले तो ठीक  तो सही ??? जवाला फूटना  तो आपके ही प्रकृति का नियम है न , 

प्रभु , पप्पू बोलता है कि कश्मीर में जनमत संग्रह करा लो यदि वो भारत के संग आना चाहे तो ठीक नहीं तो पाकिस्तान को दे दो , .. यदि शुक्राचार्य कहे कि  देव और असुरों में जनमत कराओ और असुरों के पक्ष में गया तो क्या आप स्वर्ग असुरों को दे देंगे ???? 

विष्णु : अरे विचार तो विचार हैं , कोई करने थोड़े जा रहा था वैसा ??? 

प्रभु असुरों का बस चले तो कब का आपको समुन्द्र में फेक के स्वर्ग हड़प ले , वो तो भला हो देवताओं का जो पिट के या पीट के हर बार बचा लेते हैं , यानि आप तब तक इन्जार करंगे कि वो सक्षम हो के देने के  लायक हो  तब विरोध करेंगे ???
आप ही कहते हैं न कथनी करनी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए , विचार को क्रियान्वयन करना धर्म है , तब बच्चों ने विचार को व्यवहारिक रूप दे दिया तो तकलीफ क्या , इससे पहले कि कही पप्पू पास हो के कश्मीर देने का जनमत संग्रह तैयार  कर लेता  तो ??  दूसरी बात भारतीय संविधान के अनुसार कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो उसपे कैसा जनमत , तो क्या पप्पू के विचार  देशद्रोही वाले नहीं ??? यदि उसमे छमता होती तो कौन जाने करवा देता , लडको में विचार को रूप देने कि छमता थी सो कर दिया . 
नहीं तो विचारों का क्या है कुछ भी बोलते रहो , कल को किसी नेता को अपने विचार से गाली  दे दो  तो मुक़दमा , ओमपुरी का हाल अपने नहीं देखा ??? तो इसपर मुक़दमा क्यों नहीं ???? क्या बुरा किया लडको ने ?? 

पप्पू अहिंसावादी के साथ रहता है , इसको पता होना चाहिए कि देश के लिए तो अहिंसावादियों तक का खून  उबल जाता है और चाहिए भी , भारत पाकिस्तान कि लड़ाई  भी याद करिये जब एक गाँधी के पुजारी और महान अहिंसावादी ने सरहद पे फ़ौज भेज दी थी , तो क्या गलत किया ???? उसको लाठी ले के सीमा पे अनशन पे बैठना था तब भी , ...... ?????

इसीलिए कहता हूँ प्रभु सुबह शाम माया के नवनिर्मित  उद्यान का भ्रमण किया करो दिमाग ताजा रहेगा , कुतर्क न आयेगा ... सुना है बड़े निर्जीव हाथी है वहाँ उसी के जैसे , ऊपर से हाथी ने हाथी पे भी कमीशन खा लिया ... 

विष्णु : बात तो तुम्हारी सही है , नारद , अहिंसा का हमेशा पालन भी ठीक नहीं होता , नहीं तो भस्मासुर मुझे कब का भस्म कर चूका होता , और मेरा अवतार बाली वध भी नहीं कर पता , और न सीता वापिस आती , ......अब जा के मुझे कुछ आराम मिला , तुम्हारा उपाय तो लाजवाब है , 

हा हा , धन्यवाद प्रभु , आगे कौन जाने दिग्गी और बाकियों पे भी ठपली पड़े , और आपका दुःख और कम हो ... नारायण नारायण !!!

Monday, October 3, 2011

मेरा और प्रभु का संवाद - भाग दो

नारायण नारायण !!  हे प्रभु हमें  तीन महीने कि छुट्टी चाहिए, बिग बोस् देखना है !!!

विष्णु : क्यों वहाँ तो पहले ही बहुत से लोग है  तुम क्या करोगे जा के ? सुना है बर्तन मजवातें हैं, और किसी ने तुमको पिट पाट  दिया तो, शक्ति कपूर भी तो है वहाँ, वो तो एकदम धर्म, जाती, मानव, पशु,  लिंग, देव, दानव, सबको एक बराबर देखता है १०० प्रतिशत शुध्ध निरपेक्ष है, उसकी नियत का कोई ठिकाना नहीं, कहीं तुम्हारे  साथ कुछ उंच नीच हो गया तो ? तुम अपना सर्वस्व खो सकते हो !!!

"आप हमेशा उल्टा क्यों सोचतें हैं ???कभी तो कोई ढंग कि बात किया कीजिये, जब देखो डरातें रहतें हैं.  आप अश्विनी कुमार से कान का इलाज कराईये, मैंने देखने कि बात कि है, प्रतियोगी बनने कि नहीं.  इस समय में मेरी ये लालसा नहीं.  क्या मै आपको एल के अडवानी लगता हूँ ?? पता नहीं कौन सा जवानी का तीर मारेगा अब भी  उसकी लालसा जाती ही नहीं, जब जवान था तब तो सहोदर ने हथिया लिया, अब बुढौती में मोदी, उसका  समय पूरा हो गया है अब हमारी जमात में आके आपके नाम लेने के दिन हैं उसके. निकलेगा रथ ले के , गुजरात के एडमिन मोदक ने तो बैन मार दिया उसको अब किसी बिहार ग्रुप में घुस के रथ खिचेगा   "

विष्णु : नारद , ये प्रकृति का नियम है , ला ऑफ द नेचर, हर मनुष्य के आगे बढ़ने का का रास्ता दूसरे के कंधे से हो के जाता है , जिस दिन ये सारे कंधे साथ साथ आ जाये, भारत विश्व गुरु हो जाये, लेकिन सबके विकास होने से कौन किसपे राज कर पायेगा ?? कौन किसको लूटेगा ?? तो कंधे को ही सीढ़ी माना जाता है.
 "
प्रभु आप हमको मुद्दे से भटका रहे हैं, हम भारत कि निरीह जनता नहीं कि भटक जाएँ , पहले वहाँ लोग गरीबों को अमीर बनाते है , फिर उन्ही चोरों में से कोई संशोधन के लिए विरोध करता है, और जनता फिर वही कि वही, निरीह असहाय !!

विष्णु : भाई जो भी हो  लेकिन इस योजना से कम से कम लोगो कि भक्ति हमारी तरफ बढती, ३२ रूपये से कम पाने वाले लोगो को नरेगा और मनरेगा से ले के बाकी सुविधावों से वंचित रखा जाता, जहाँ लोग हप्ते में एक दिन फाका करतें हैं, ४ दिन करतें, थक हार के हमारा नाम लेते,  लोगो का परलोक सुधर जाता,  भूखे रहने से कमजोरी आती, खून ठंडा रहता  जिससे झगडा कम होता और लोग अहिंसा वादी बनते, लोग भूख से भी जादा  मरते जिससे जनसँख्या कम होती और देश का विकास होता.जो भी हो जिसने भी ये योजना बनायीं है, वो परम भक्त है हमारा !

" नारायण नारायण " आप खान्ग्रेसियों कि तरह क्यों कुतर्क  दे रहें हैं ?? क्या आप भी मानतें हैं कि " धुप में बारिश हो तो सियार का बियाह होता है"  ???

विष्णु : भाई हम पालक हैं, हमें भी प्रकृति के अनुसार ही दुनिया चलाना होगा ! हम तो  सीख रहें है अब कुछ न कुछ , सोचता हूँ इस बार मै भी चलूँ तुम्हारे साथ, मंदमोहन से मिलवा देना, फिर देखना किसकी मुस्कान मोहक है मेरी या मंदमोहन कि , मेरी हुई तो मै जीता और जैसा चाहूँगा  वैसा करूँगा, और मंदमोहन कि हुई तो भी मै जीता, आखिर वो भी तो है  हमारा ही बच्चा !!!

"नारायण नारायण " फिर वही बात , चित भी आपकी , पट भी आपकी , जब चाहो दाम बढ़ा दो , चुनाव के समय कम कर दो, ये भी कोई बात है ??  प्रभु आप देव हैं इन सब पचडों में मत पड़े, नहीं लोगो का विश्वास आपके प्रति कम हो गया है , लोग यम को विष्णु बना देंगे और आपको यम, अब वहीँ देख लीजिए लोग खान्ग्रेस को छोड़ के खाजपा के चक्कर में पड़े हैं, प्रभु आप पहले वाले ही बन जाओ जैसे गांधी, लाल बहादुर थे,  नयी भ्रष्ट पीढ़ी का देख के लिलार मत फोड़ो  सिर्फ खून ही निकलेगा और माथा लाल होगा नहीं, दर्द होगा वो अलग ..!

 आप को मै न ले जाऊंगा अपने साथ कहीं राबर्ट के साथ सेट हो गए तो ? वहाँ कि जनता ने  आप पर नज़रें गडा रखी हैं, जो जनता कल तक आपको पुजती थी, वही अब उल्टा सीधा कहती है, वो समझ चुके  हैं कि आप पहले वाले पालन कर्ता नहीं रहे, आप छीर का पानी त्रिशंकु के राज्य में भी दे रहे हो !जनता पीड़ित हो के  आप से जादा यम को याद करती  है.
उनकी पीड़ा को सुनिए महसूस कीजिये, और कुछ कीजिये जनसमर्थन जुटाईए तभी छीर का पानी ठंडा लगेगा, कहीं ऐसा न हो, जनता कि आग आपके सागर को उबाल के रख दे, और आपके गद्दी रूपी शेष नाग जी उसकी तपिश न झेल, पतालावस्था को प्राप्त कर लें.आप सत्ता सीन हैं, हम जनता, हमने अपनी बात आप तक पहुंचा दी, बाकी निर्णय आपका है !!!!  नारायण नारायण !..

कमल
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