नारद: परेशानी मे ही एकता

Tuesday, July 31, 2012

परेशानी मे ही एकता


इस दुनिया मे सभी परेशान है, क्या छोटा क्या बड़ा, वास्तव मे परेशानी भाई चारा का सन्देश देता है, एक दम उम्दा वाला, मुस्लिम हिंदू दोनों पे आता है, नेता जनता दोनों पे आता है, कुवारो विवाहित दोनों पे आता है इस  मामले मे मै "परेशानी" का फैन हूँ , कम से कम अन्ना टीम की तरह अकले खुद पे क्रेडिट लादने की कोई कोशिश नहीं करती. 

बाबा-मोदी और मिडिया, अन्ना टीम के फ़ालतू बयांन  बाजियों से परेशान है, बयानों के बाद अन्ना टीम जनता न आने को ले के परेशान है, अरविन्द चंदे और राजनितिक माहौल तैयार करने को लिए परेशान है, सरकार बाबा से  परेशान है और सरकार से जनता है परेशान है, अर्थात "परेशान" ही वह कड़ी है जो सबको आपस मे जोड़े रख रही है. 

मै तो कहता हूँ भाई चारा और सद्भावना लाने के लिए "परेशानी" को रास्ट्रीय धर्म घोषित कर देना चाहिए. इसमें सरकार सहयोग कर सकती  है, सरकार तो इसके लिए वैसे भी वचनवद्ध है. कोई ऐसा कानून बनाये, की सभी परेशानी को इज्जत की नजर से देखे, भारतीय नारी की तरह. सब परेशान होना चाहे, "अबे वो बड़ा नकारा और खतरनाक है, परेशान ही नहीं है" "वो सांप्रदायिक है, परेशान ही नहीं है". 

अब विवाद न करिये की परेशानी को धर्म का दर्जा दिया जाए या भारतीय  नारी का, वास्तव मे दोनों एक ही है, सिवाय एक के की धर्म किसी भी परिस्थिति मे किसी को परेशान नहीं करता और भारतीय नारी विशेष, अन्वाशेष परिस्थिति मे  किसी को भी परेशानी कर सकती है, अर्थात परेशानी को धर्म की संज्ञा देना जादा तर्क संगत है.  

जिसको देखो वही परेशानी को कोसने मे लगा है, अरे भाईयों, जरा अकबर दूरदर्शी से सबक लो. अकबर ने एक धर्म चलाया था "दीन -ए इलाही " .. दीन - अर्थात परेशान  आत्मा, निश्चय ही अकबर महान था, उसका पता था, सारे परेशान लोग एक हो सकते है, सद्भावना के लिए पहले सबको परेशान युक्त  बनाओ , फिर उनके लिए पैकेज निकालो , "दीन - परेशान " टाइप का , खुद बा खुद सब एक होने लगेंगे .  शायद इसी कारण वो महान कहलाया होगा. 

ब्रम्हा एवं अन्य देवता ने मिल कर राम के लिए "परेशान विव्युह" की रचना की, जिससे राम को पर्यटन का अवसर प्राप्त हुआ, सीता से कुछ दिन दूर होकर स्वंत्रता का अनुभव भी लिया. अंततोगत्वा रावन जैसे पापी को निर्वाण दिया, और वाल्मीकि तुलसी को लिखने के लिए नया मैटर दिया.  

मोहम्मद भी तडीपार हुए, खुदा को भी अंगुल कर कुरआन लिखवाया, जेहादी पाठ डलवाया, अरब मे जिहाद करवाया, जो पुरे दुनिया मे फ़ैल गया, अब देखिये कैसे सारे आतंकवादी एक होकर एक दूसरे से प्रेम पूर्वक आपस मे रहते है, जिससे दुनिया की सरकारे परेशान होती है, और वहाँ के देशवासी एक होते जाते है. 

अंग्रेजो ने पुरे भारतीय जनता को नाको चना चबवा रखा था, सिवाय कोंग्रेसियों के, जिससे वो एक न हो पाए, जिन्ना और नेहरू अलग अलग खेमे मे हो गए, और पकिस्तान बन गया. जबकि पूरी जनता परेशान हो कर एक हो गयी. 

अकबर, राम मोहम्मद से किसी ने सीख ली हो या न ली हो, लेकिन सरकार ने "ले ली", सबको परेशान करके एक करने की शपथ. लेना भी चाहिए, आखिर देश की एकता का सवाल है. कभी टैक्स लगा के जनता को एक कर सड़क पर उतरवा देती है, तो कभी पेट्रोल मे आग लगा के,  आज सरकार जनता को परेशान करने के लिए  बैठके करती है, सभाएं करती है, करोडो के प्रोजेक्ट लाती है, सवाल आखिर एकता का है. 

जो काला धन या लोकपाल दे दिया तो जनता  क्यों परेशान होगी ?? सो रोक के रखा है, सवाल आखिर एकता का है.  जनता को भी इस बात को समझना चाहिए, देश की एकता,अस्मिता बनाए रखने के लिए, परेशानी एक आवश्यक तत्व है. परेशानी खत्म होते ही नेता की आयु छोटी होने लगती है, जनता के एकता के कण बिखरने लगते है, तो भाइयो परेशान रहो और एक रहो, सरकार हमारे साथ है. 

1 comment:

Anonymous said...

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