नारद: May 2012

Friday, May 25, 2012

पेटरोल/.डीजल में बढ़ोत्तरी, जनता की भलाई



ह्म्म्म , मामला गंभीर है, एक बात कहूँ तो मै दूरदर्शी हूँ , मैंने साल भर पहले ही अपनी  गाडी  खड़ी कर लिफ्ट मांगनी  शुरू कर दी, बढ़ा दो, और इससे घाटा नहीं मै तो कहता हूँ फायदा ही फायदा है, अब देखिये आजकल गाड़ी के जमाने में बिचारे घोड़े तरसते हैं, नहीं पहले क्या ठाठ थी उनकी हर घोड़े की इज्जत होती थी ( आज के इंसान रूपी गधे से जादा ) की फलनवा मेरे पीठ पे बैठता है,  कालांतर में गाडी इनकी सौत  बन के आई, और ये बिचारी तब दहकने के बाद हाशिये पे हो गयी, कभी कभी कोई गधा इनपे जरुर चढ़ता है तब भी पछताता है ( शादी के समय ), मुझे लगता है सोनिया गाँधी अब परिवार प्रेम में आ गयीं है, और मेनका को मनाने  के लिए घोड़ो के दिन वापिस लाना चाहती है, ताकि मेनका उनके इस जानवर प्रेम से खुश हो दीदी चिल्लाने लगे, सरकार के इस फैसले से घोड़े तो खुश ही हैं  साथ में  गधो की जमात  भी है ( इन्क्लुडिंग कोंग्रेसी ).आस में की अब फिर से  आदमी अब फिर से घोड़े पे चलने लगेगा तो गरीब तबका हमारी और भी नजर डालेगा और हमें भी लिक से  हटकर (धोबी और घाट) कुछ चुनौती  पूर्ण कार्य करने के अवसर प्राप्त होंगे.

 इसका दूसरा असर ये होगा की नॉएडा और डेल्ही की सडको पर रात में शराबी लम्पटों  की रेस बंद हो जाएगी ( एक ज़माने में हम भी इसी प्रकार के लम्पट थे )और घोड़ो पे चढ़कर तो कोई सड़क पे रेसिंग करेगा नहीं, क्योकि घोडा बड़ा संग्यानी  होता है, शराब की महक सूंघ पटक जो दे तो रेसर बिचारे उठ न पाएंगे. दूसरा फायदा ये होगा की ट्राफिक वालो का अत्याचार कम हो जायेगा, ये साले घोड़े पकड़ थाने  में नहीं बंद कर सकते, और जो कर भी दिया तो इनके पास चरी ( घोड़े गाय का कहना ) बोने का खेत नहीं है और सरकार देने वाली नहीं, और जो सरकार ने दे भी दिया तो   ये बिचारे उगा न पाएंगे, और यदि उगा भी लिया तो भी घोड़े का न मिलेगा, सरकार  चारा घोटाला के तर्ज पर चरी घोटाला  कर देगी, सरकार भी अपने घोटालो का चक्र  नहीं बिगाड़ती काफी दिन हो गया जानवरों का खाया अब तो इनके पाद में मोबाइल मोबाइल सा या कोयला जैसा महकता है. अंततः घोड़े गदहे की मौत  मर जायेंगे जिसका पाप पुलिस वालो पे आयेगा , आखिर पुलिस वाला भी बिचारा कितना पाप सहेगा, एक तो डकैती की बद्दुवा सहता है अब ये पाप भी ,. डकैती ??? अरे हैं भाई, एक बार मेरे मोहल्ले में डाकू घुस आये , हमने घबरा कर  कर थाने फोन किया , तो थानेदार ने बोला की पिकेट वाले तो  इस क्षेत्र में ही नहीं गए हैं आज तो कहीं और होना चाहिए था,और दूसरी बात की अब हम लोग ये सब नहीं करते, अब तो सीधे सरकार से ही सांठ गाँठ है  खैर!!! आदमी के स्वास्थ्य य पे भी इसका असर पड़ेगा.

जवाहिर को जब से  ससुराली  गाड़ी  मिली है तबसे वो हगने भी गाड़ी से जाते हैं, ऊपर  से हर महीने का पिटरोल का पैसा पिता जी से मांगते, इससे जवाहिर का घुटना पकड़ लिया है और पिता जी का  का हृदय, मुद्दा ये की जवाहिर  का घुटना ठीक और उनके पिताजी  मस्त हो जायेंगे, दहेज़ में गाडी तो भूल के भी कोई न लेगा, बल्कि उल्टा ससुराल वाले बात बात पे धमका सकते हैं, बेटी को ठीक से रखो नहीं गाडी दे जायेंगे. 

रोजगार ?? अरे तो इससे रोजगार पे कोई फर्क नहीं पड़ना, सारे मोटर मैकेनिक घोडा  जाकी बन अपना स्वास्थ्य सुधरेंगे, नहीं तो बिचारे हाथ काले कर जब घर पहुचते तो डीजल मोबिल का महक आता था.    
आप भी तो कोंग्रेस को वोट इसीलिए देते हो की आप खुश रहो  स्वास्थ्य रहो, अब माई बाप्पा चिल्लाने का प्रश्न ही नहीं है , चुप चाप घोडा लाइए स्वास्थ्य बनाइये ..

लोग कहते हैं हर कुत्ते का दिन आता है, अब से लोग कहंगे हर घोड़े का दिन आता है.

 कुछ गलत कहा हो तो कहियेगा  

Wednesday, May 16, 2012

पुरुष सशक्तिकरण : मेन फर्स्ट प्लीज

naarad 
पुरुष,  कुछ लोग कहते हैं कि इस शब्द कि उत्पत्ति पौरुष शब्द से हुई अर्थात शक्तिशाली. लेकिन एन डी तिवारी जैसे कुछ अपवाद पुरुषों को  छोड़ कर यदि  दृष्टिपात किया जाये, तो क्या सच में पुरुष शक्तिशाली है ??? 

पुरुष, अपना बचपन   परिवार के आशाओ का बोझ ढोता हुआ  बस इसी सोच में निकाल देता है कि  मैट्रिक पास कर पिता जी को बता देगा उनके तिवारी दोस्त के पुत्र से वह किसी भी तरह कम नहीं है. कभी बड़ी बहन कि अनावश्यक डाट झेलता बालक चुपके से अपनी माँ के पास उलाहना ले के जाता है तो वहाँ भी शरण नहीं मिलती, "अरे ये है ही कितने दिन यहाँ कुछ दिन में ब्याह  ससुराल चली जायेगी " सुन मन ही मन उसका दिल रो पड़ता है. 

जब पुरुष किशोरावस्था मे प्रवेश करता है, तो याँ भी उसे नहीं बक्शा जाता.  बिचारा बिना खाए पिए  सारे दिन कालेज  के गेट पर दिहाड़ी मजदूरों के भाँती खड़े हो बस एक नजर कि आस मे कई गिलास जूस पी जाता है लेकिन किसी  को भी इन पे दया नहीं आती, यहाँ भी उसे किशोरियों द्वारा उपेक्षित किया जाता है, और जो कोई एक आध इस भागरथ प्रयास मे सफल हो गया तो फिर से शुरू होता है वही शोषण का अनवरत सिलसिला,   हर बार का बिल, दिल के नाम पे किशोरियाँ तब तक भरवाती है जब तक वो  उससे जोंक कि तरह चिपकी रहती है. किशोर बिचारा अपना प्रोजेक्ट छोड़ अपनी छद्म संगिनी का प्रोजेक्ट पुरे लगन और मन से करता है लेकिन उसे मिलता क्या है ??? बस थंक्यू के साथ एक कुटिल मुस्कराहट ...   

 प्यार के नाम पर उसका जम के शोषण होता है, और शोषण करने वाली प्रेयसी  ये भूल जाती है कि जिस वृक्ष के नीचे उसके हाथ में हाथ डाल मने मन उसका शोषण करने कि अगली  योजना बनाती है उस वृक्ष तक को भी वो, वो असहाय मासूम निरीह पुरुष सारनाथ का बोधि वृक्ष समझता  है मोहब्बत मे , ... जिसके नीचे उसे ज्ञान कि प्राप्ति मिलती तो है लेकिन ज्ञान का संज्ञान बाद में होता है जब वो शोषित  हो चला होता है ..

किशोरी मित्र  चोंच लड़ा के कभी भी  अपने किशोर  मित्र को छोड़ दूसरा किशोर  मित्र ढूंढ सकती है लेकिन वही जब उलटे किशोर  करे तो उसपे शोषण के नाम पर  पुलिसिया कम्प्लेंन  कर फिर एक बार उसका शोषण किया जाता है.  

किशोरावस्था में पहुचते ही किशोरियों कि मानसिक, आर्थिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलते हुए पुरुष जब पति बनता है तो उसकी स्थिति और  दयनीय हो जाती है. घर पे पति जब कार्यालय से आता है तब  मानसिक शोषण का एक और दौर शुरू होता है, उसका मोबाईल नो चेक किया जाता है, ५ मिनट लेट क्यों हुआ , पूछा जाता है, तरह तरह से मानसिक प्रताड़ना  का शिकार हुआ पुरुष जब दो घूंट आबेहायत कि हलक से नीचे उतरना चाहता है तो वहाँ भी प्रताड़ना झेलनी पड़ती है.

अपने आपको विद्वान कहलाने के लिए पुरुष पूरी जिदगी संघर्ष करता है लेकिन यहाँ भी स्त्री ने उसका पीछा न छोड़ा, डाक्टर कि पत्नी बिना मेहनत के ही डक्टराइन, मास्टर कि मस्टराइन, और वकील कि वकीलाइन बन उसके मेहनत मे सेंध मार  जाती है. 

जहाँ देखो वही महिलाए पुरुषों का हाक मारने पे उतारू हैं. विज्ञापन  कि ही दुनिया ले लीजिए , न मुह पे मोछ न छाती पे बाल फिर भी बिना महिलाओ के ब्लेड का प्रचार अधूरा रहता है यदि  फिल्म पे  दृष्टि डाली जाए,  तो  जहाँ नग्नशाश्त्र कि  जानी मानी प्रोफ़ेसर सनी लिओन को महेश भट्ट  जैसे दार्शनिक अपनी कला फिल्म  के प्राध्यापक  बना देते हैं  दूसरी तरफ उसी विषय के छात्र एन डी तिवारी को सिर्फ अपनी कहानी औरो से सुनकर  संतोष करना पडता है, फिल्म तो दूर उलटे खून का सैम्पल माँगा जाता है.    

जब जब भी पुरुष अपना मनोबल बढाने कि सोचता है तुरंत महिला मोर्चा का आतंकित नारा " महिला आरक्षण " उसके दिल को दहला जाता है , भाई अब कितना शोषण करना है, 

अब जरुरत है पुरुषों को एक साथ खड़े होने कि, कदम से कदम मिला के चलने कि, अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने कि, पुरुषों को महिला महाविद्यलों मे ३० % आरक्षण के लिए अपनी आवाज बुलंद करनी होगी ,  पुरुषों को देल्ही मेट्रो के अगली बोगी मे ससम्मान जगह दिलाये जाने कि भी जरुरत है. 
महिलाओं का अत्याचार नहीं सहेगा पुरुष समाज. 
पुरुष जब तक खुद अपने बारे मे नहीं सोचेगा तब तक उसका शोषण झारखण्ड के आदिवासियों के तर्ज पे  होता रहेगा. 



महिला शाश्क्तिकरण पे महिलाओ ने आवाज उठायी,
सम्हाल जा पुरुष तैयार हो जा शोषण के लिए 
 फिर से तेरी शामत आई,

मैंने पूछा देवी महिलाये कब से कमजोर थी ??
कहानी लक्ष्मीबाई कि नहीं किसी ने सुनाई ,
या नहीं पता कि द्रोपदी ने कैसे महाभारत आग लगाई,
जब उसकी सास खुद एक  स्त्री ने ही कि उसकी बटाई.
.
क्या अब भी नारी कमजोर है, जिसने अब भी धूम मचाई.
छोड़ स्त्रीत्व जिसने, ठेके पे भी लाइन लगाई.

नारी शक्ति का क्या कहना, जहाँ पुरुषार्थ भी नंगा होता है,
छोड़ माँ बाप , घर बार , मारा मारा फिरता है.
तब यही कमजोर महिला जम के खूब सताती है,
मूड हुआ तो  मान गयी नहीं दूसरे को चली जाती है.

फिर यदि  नाजुक है हालत तो हालात किसने बनायी ??
बिना दहेज के शादी कर,  क्या अपने बेटे को समझाई,

बहु को जो दे त्रास, निभाए अपना धर्मो सास ,
अब बता क्या यहाँ भी पुरुषों ने घुट्टी पिलाई ??

याद करो मंथरा को जिसने अज्ञान  कि जड़ी पिलाई,
आदर्श पुरुष राम ने तब गली कि ठोकर खायी,

खड़ा हो उठ पुरुष , अब है ललकार लगानी, 

मिटाना है अब मुछ के साथ, कलंक आँखों का पानी, 

Sunday, May 13, 2012

संसद के साठ साल और मात्र दिवस

संसद के साथ साल पुरे होने पर सबको बधाई, इश्वर कि महिमा देखिये सांसद के साठ साल और मात्र दिवस दोनों एक ही दिन पड़ा, आज देखा जाए तो दोनों कि ही हालत एक जैसी है, जो संसद नेतावों को मंत्री बनाता है वही मंत्री संसद का मान हरण  कर लेते है, वही दूसरी ओर जो माता अपने बच्चे को पलती है बड़ा करती है पुत्र उसी को हाशिए पे डाल देते है. तो ईश्वर ने भी सोचा इस बार दोनो दिन का टांका एक ही दिन फिट कर देते  है.  संसद में सांसद और आभासी दुनिया में लोगो ने साठ  साल के माँ कि खूब समीक्षा कि, यदि तुलना कि जाए  तो संसद और माँ कि समीक्षा एक ही तरह कि थी. 

१.  संसद के साठ साल पूरा होने पर सबको बधाई/ मात्र दिवस पर सबको बधाई.
२.  संसद सर्वोपरि है हम उसका सम्मान करते हैं/ माता सर्वप्रथम है हम उसका सम्मान करते हैं. 
३. कुछ लोग संसद का सम्मान हरण करना चाहते है / कुछ लोग अपनी अपनी शादियाँ कर के मातावों के सम्मान पर कुठाराघात करना चाहते हैं. 
४. हम जनता द्वारा संसद में चुनकर आये हैं इस तरह से कोई बाहरी हम पर अंगुली नहीं उठा सकता / हमारी माता ने हमको पैदा किया हम उसके साठ कुछ भी करे कोई बाहरी कौन होता है कुछ भी कहने सुनने वाला. 
५. हमें इस बात का संज्ञान लेना होना कि आगे से संसद कि गरिमा पे कोई अंगुली न उठाये चाहे सांसद कुछ भी करें / हम अपने माता के साठ के कुछ करे कोई कौन होता है कुछ बोलने वाला. 
६. हम संसद में सोये, जगे उससे क्या संसद हमारी है / हम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करे या न करे, आखिर हमारी माता है. 
७. बुद्ध जीवियों ने भी दोनों कि समीक्षा अपने अपने तरीके से लेकिन एक ही कि. 

सब मिला के देखा जाए तो माँ  और संसद कि स्थिति एक ही है, दोनों अपने बच्चो को बेहतर देखना चाहती है, लेकिन बच्चे दोनों को ही गच्चा देते देखे जा रहें हैं ( कुछ एक को छोड़ कर). 

दोनों  कि स्थिति पे सब घड़ियाली आँसू रोते हैं,  हलाकि स्थिति  कुछ दूसरी होती है. 
अंत में सबसे खास बात, दोनों पे चिंता किसी एक खास दिन  ही व्यक्त कि जाती है, क्या हम  पुरे साल  माँ और संसद दोनों कि गरिमा का ख्याल नहीं रख सकते ???? 

Friday, May 4, 2012

पाल बाबा का प्रेयर पैकेज


पॉल दिनाकरण  जो एक ईसाई इवेंजलिस्ट हैं उसके विषय में  कुछ नए तथ्यों के साथ यह पोस्ट पढ़िए और जानिये किकोयंबटूर में एक इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी का मालिक पॉल कैसे चलाता  है क्राइस्ट (ईसा ) की कृपा का कारोबार  ?

Paul dhinakaran fraud _bussiness of blessingsपॉल दिनाकरण  प्रार्थना की ताकत से भक्तों को शारीरिक तकलीफों व दूसरी समस्याओं से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। पॉल बाबा अपने भक्तो को  इश्योरेंस या प्रीपेड कार्ड की तरह प्रेयर पैकेज बेचते हैं। यानी, वे जिसके लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं, उससे मोटी रकम भी वसूलते हैं। मसलन 3000 रुपये में आप अपने बच्चों व परिवार के लिए प्रार्थना करवा सकते हैं। वे कोयंबटूर में एक इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी के मालिक हैं। उनका 24 घंटे का चैनल रेनबो भी है। दुनिया भर में उनके 30 प्रेयर टॉवर हैं। कहा जाता है कि उनकी किसी भी सभा में एक लाख से अधिक भक्त मौजूद होते हैं। इन बाबाओं की कामयाबी व धनवर्षा का राज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में छुपा है। निर्मल बाबा जैसे लोग टीवी की बदौलत ही लाखों भक्तों को बेवकूफ बना एक करोड़ रुपये प्रतिदिन कमाने में कामयाब रहे। बताया जाता है कि बाबाओं का समूह साल में 40 हजार घंटों से भी अधिक समय तक भक्तों को टीवी के माध्यम से संबोधित करते हैं। भारत में सबसे पहली बार ओशो ने धर्मक्षेत्र में व्यवसाय के नियमों का खुल कर उपयोग करते हुए प्रवचन सुनने आने वालों के लिए टिकट बेचने की शुरुआत की थी। 1977-78 में उनके प्रवचन सुनने वालों को शिविर में प्रवेश के लिए सौ डॉलर चुकाने पड़ते थे। इसके लिए उनकी जमकर आलोचना हुई थी। लेकिन आज अधिकांश साधु-संत ओशो की ही नकल कर रहे हैं। बाबा रामदेव से लेकर श्री श्री रविशंकर व सुधांशु महराज से लेकर निर्मल बाबा, सभी के दर्शन के लिए पैसे लगते हैं। बाबाओं की कमाई का बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से आता है।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने भारतीय मूल की शिक्षाविद् श्रेया अय्यर की अगुवाई में कुछ वर्ष पूर्व एक शोध करवाया गया था। शोध में साबित हुआ   है कि भारत में धार्मिक संगठन व्यावसायिक संगठनों की तरह काम करते हैं और लोगों की निष्ठा बनाए रखने के लिए अपने क्रियाकलापों में लगातार बदलाव भी लाते रहते हैं। कैंब्रिज के अर्थशास्त्र विभाग के एक दल ने दो साल तक भारत के 568 धार्मिक संगठनों के क्रियाकलापों पर शोध किया था। शोध के लिए कर्नाटक, मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर,पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र , उत्तराखंड और गुजरात के धार्मिक संगठनों को चुना गया था। मालूम हो कि अधिकांश करोड़पति-अरबपति बाबाओं का धार्मिक कार्यालय इन्हीं राज्यों में है। शोध में यह तथ्य भी सामने आया कि जिस तरह बाजार में करोबारी अपने विरोधियों को हर चाल में मात देने की कोशिश करते हैं, ठीक उसी तरह धार्मिक संगठन भी हर सही-गलत चाल चलने से परहेज नहीं करते हैं।

क्राइस्ट की कृपा बेचते हैं पॉल दिनाकरण

निर्मल बाबा से 17 गुना अधिक पैसा है पॉल दिनाकरण के पास
300 करोड़ वाले निर्मल बाबा के ऊपर जब वेब मीडिया /सोशल मीडिया महीने भर से मुहीम चलता रहा तब जाकर कहीं मुख्यधरा की मीडिया आँख खोल पाई | और अब तो रोज निर्मल बाबा के पीछे हर मीडिया चैनल लट्ठ लेके पद हुआ है | लेकिन बात केवल एक निर्मल बाबा की नहीं है | निर्मल बाबा तो ठगी -धोखेबाजी-अंधविश्वास -चमत्कार के मार्ग पर चल कर आम लोगों की जेब खाली कराने वालो की जमात का एक अदना सा खिलाड़ी है | श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग की संपत्ति है करीब 2500 करोड़ रुपये, माता अमृतान्दमयी की संपत्ति है करीब 6000 करोड़ रुपये, पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा की संपत्ति को लेकर अभी कुछ दिन पहले बवाल मच चूका है. पॉल दिनाकरन  जो कि एक इसाई एवंगेलिस्ट हैं उनकी संपत्ति 5000 करोड़ से ज्यादा है,बिशप के.पी.योहन्नान की संपत्ति 7000 करोड़ है, ब्रदर थान्कू (कोट्टायम , करेला ) की संपत्ति 6000 हज़ार करोड़ से अधिक है | बहरहाल , ऐसे बहुत से नाम हैं, जिनकी पोल जनता के सामने खोलनी बेहद जरुरी है और इसी पोलखोल में विनीत कुमार सिंह की इस रपट को पढ़िए :
पॉल दिनाकरन _paul ddhinakarn a fraudतमिलनाडु के चेन्नई में एक परिवार है जो खानदानी धर्म का बिजिनेस चला रहा है। इस परिवार का नाम है “धिनाकरण” जो की पता नहीं कब से लोगो को धर्म के नाम पर बहला-फुसला कर या धर्म के नाम पर डरा कर अपना बिज़नस करता है और खुद को एवंगेलिस्ट (evwngelist) बोलते हैं जिसका हिंदी मतलब होता है ईसाई धर्म का प्रचारक। इस परिवार के सबसे पहले इन्सान का नाम था “डी. जी. एश. धिनाकरण”| इन महाशय का कहना था की इन्होने खुद ही क्राइस्ट को देखा है जब ये जनाब सुसाइड करने जा रहे थे तब क्राइस्ट ने खुद इनके सामने आ कर इनको सुसाइड करने से रोका था| पर मै बाइबल को देखा तो पाया की क्राइस्ट कभी भी गलत लोगो का साथ नहीं देते हैं| और सुसाइड को हर धर्म में गलत मन गया है और शैतान के द्वारा प्रायोजित बताया गया है| तो इन्होने किसको देखा था क्राइस्ट को या शैतान को| पर यही धिनाकरण ने जब अमेरिका में अपना कम शुरू किया तो इन्होने बताया की इन्होने क्राइस्ट को अपने बेडरूम में सपने में देखा था| अगर हम इसको सही माने तो इनका पहला स्टेटमेंट गलत था…पर वही अगर पहले को सही माने तो दूसरा स्टेटमेंट गलत| किसी भी हालत में ये महाशय गलत शाबित हो रहे हैं| तो क्या ये मन जाये की क्राइस्ट को इतना करीब से देखने का दावा करने वाले ये क्राइस्ट के नाम पर झूट बोल रहे हैं| ये आप सब खुद ही डिसाइड करे| वैसे तो इनकी बहुत सारी कहानियां हैं पर वो फिर कभी|
इनके परिवार में और इनके सुपुत्र और आज के क्राइस्ट को देखने का दावा करने वाले के बारे में बताते हैं जो खुद को क्राइस्ट के बराबर बताने में भी गुरेज नहीं करते हैं| ये हैं ईसाई धर्म गुरु पॉल दिनाकरन या ”पॉल धिनाकरण”|
पॉल दिनाकरन  का जन्म ४ सितम्बर, १९६२ को हुआ| ये जनाब भी अपने पिता की तरह दुखी थे तो इनके पिता के द्वारा क्राइस्ट ने इनसे बात करी और इनकी जिंदगी बदल गई और इन्होने MBA किया| २७ साल की उम्र में इन्होने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में PHD किया| निर्मल बाबा तो केवल भारत में टीवी चैनल पर आते हैं पर ये तो ९ देशो के टीवी चैनल पर कब्ज़ा किये हुए बैठे हैं| ये जनाब जीसस काल्स मिनिस्ट्री के नाम पर मैर्रिज ब्यूरो तो जॉब ब्यूरो और न जाने क्या क्या चलते हैं| यहाँ तक की अपनी वेबसाइट्स पर ये डोनेसन को भी बोलते हैं|
प्रार्थना की फीस हजार रुपय���
प्रार्थनाओं की ताकत से अनुयायियों को शारीरिक तकलीफों व दूसरी समस्याओं से मुक्ति दिलाने का दावा करते हैं। दिनाकरन इश्योरेंस या प्रीपेड कार्डों की तरह प्रेयर पैकेज बेचते हैं। यानी, वे जिसके लिए गॉड से प्रार्थना करते हैं, उससे मोटी रकम भी वसूलते हैं। मसलन 3000 रुपये में आप अपने बच्चों व परिवार के लिए प्रार्थना करवा सकते हैं। वे कोयंबटूर में एक इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी के मालिक हैं। उनका 24 घंटे का चैनल रेनबो भी है। दुनिया भर में उनके 30 प्रेयर टॉवर हैं। कहा जाता है कि उनकी किसी भी सभा में एक लाख से अधिक भक्त मौजूद होते हैं। इन बाबाओं की कामयाबी व धनवर्षा का राज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में छुपा है।
एक और ध्यान देने वाली बात है की जो इन्सान ( पॉल दिनाकरन ) हर मर्ज को ठीक करने का दावा करता हो उसी का बाप जो खुद भी क्राइस्ट से मिल चूका है वो २००३ में हॉस्पिटल में एडमिट था| तो जब स्वयं क्राइस्ट से मिला इन्सान खुद को हॉस्पिटल तक में एडमिट होने से नहीं बचा पाया और न ही उसका बेटा जो उसी की तरह दावा करता है वो खुद भी क्राइस्ट से मिल चूका है और रोगियों को और रोग को ठीक करता है वो अपने बाप को नहीं बचा पाया तो ये आम जनता को कैसे बचाता है| क्या ये रिसर्च का विषय नहीं है मीडिया के लिए?

अब पॉल दिनाकरन  के बिजिनेस के प्लान के बारे में जानिये ;
अगर हम इन पॉल दिनाकरन महाशय द्वारा दी गई वेबसाइट को देखे जिसको इन्होने अपने बिजिनेस प्लान का ही नाम दे रखा है —

इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी के हिसाब से १४ मार्च, २००८ को क्राइस्ट पॉल धिनाकरण के सपनो में आए और अपना बिजिनेस प्लान बताया| ध्यान रहे ये बिजिनेस प्लान क्राइस्ट ने पॉल धिनाकरण को बताया है|

क्राइस्ट ने पॉल धिनाकरण से जो बोला वो मै यहाँ उल्लेख कर रहा हु इन्ही के शब्दों में, “I have started a new era now. The old era has ended with your father. This new era is the one that has to prepare the world for My Second Coming. In the coming days, I am going to raise up millions of prophets and apostles. I will operate the apostolic power and prophetic gifts in the world.”

क्राइस्ट ने पॉल धिनाकरण से कहा की क्राइस्ट ने एक नया युग चालू किया है| पुराना युग पॉल धिनाकरण के साथ ही ख़तम हो गया| और अब क्राइस्ट इस नए युग में नए रूप में आएंगे और साथ ही लाखो ईसाई धर्माचार्य लायेंगे| और इस विश्व को एक विशेष शक्ति से चलाएंगे साथ ही गिफ्ट भी मिलेंगे|

The Lord also said, “I will give visions containing My revelations to My children so that they will follow new strategies in their business matters and also manage their business affairs through innovative methods. When they implement them, they will flourish all over the nation. Their wealth and profit will grow manifold. They will occupy prominent positions in multiplying the national assets and products. Therefore, they will be consulted by government agencies at the highest level when national economic policies are formulated and implemented. This will help the nation in becoming prosperous and also in equal distribution of wealth’.
क्राइस्ट ने धिनाकरण से कहा की क्राइस्ट अपने बच्चो को एक नयी शक्ति देंगे बिजिनेस से जुड़े मामलो के लिए और साथ ही बिजिनेस को नए तरीको से करनासिखायेंगे| और जब बिजिनेस करने वाले लोग इसको मानेंगे तो वो पुरे राष्ट्र को फ़ायदा पहुचाएंगे| क्राइस्ट के बताये बिजिनेस के सूत्र से बिजिनेस करने वाले लोगोको सरकार तक जुड़ना चाहेगी और ये लोग इकोनोमिक वे में सबसे ज्यादा मजबूत होंगे|
अब मेरा सवाल है की क्या आज कल क्राइस्ट बिजिनेस में भी इंटेरेस्ट लेने लगे है क्या?
अब इसी क्रम में आगे देखते हैं की पॉल धिनाकरण जी से क्या बिजिनेस प्लान बताया क्राइस्ट ने—
१. क्राइस्ट बिजिनेस करने वाले लोगो को अपने इस बिजिनेस प्लान में पार्टनर रखना चाहते हैं…और इसके लिए बिजिनेस करने वाले लोगो को इस प्लान के लिएरजिस्ट्रेसन करना होगा| (यानि यहाँ भी क्राइस्ट अपनी कृपा फ्री नहीं दे रहे हैं)
२. इसके बाद पॉल धिनाकरण की संस्था जीसस काल्स इन बिजिनेस से जुड़े लोगो के लिए प्रार्थना करेगी इनके बिजिनेस का नाम ले कर वो भी ईमानदारी से| (क्याकिसी और के प्रार्थना करने भर से क्राइस्ट खुश हो कर अपनी कृपा देंगे और बिजिनेस आगे बढेगा या की खुद काम करना पड़ता और खुद की की गई प्रार्थना ज्यादासहयोग और संतुस्ती देती है)
३. अब आगे पॉल धिनाकरण जी कहते हैं की बिजिनेस करने वाला विश्व के किसी कोने में हो वो ईमेल से अपनी प्रार्थना पॉल धिनाकरण को भेजे और पॉलधिनाकरण उस बिजिनेस करने वाले के लिए क्राइस्ट से प्रार्थना करेंगे उस बिजिनेस करने वाले के बिजिनेस या दुकान या किसी भी बिजिनेस से जुड़े काम के लिए| (क्या ईमेल से भी क्राइस्ट खुश हो रहे हैं आज कल या की कोई और खुश हो रहा है क्राइस्ट के नाम पर)
४. अब जब पॉल धिनाकरण जी बिजिनेस करने वाले के लिए प्रार्थना करेंगे तो उस बिजिनेस करने वाले के बिजिनेस पर क्राइस्ट की कृपा होगी| (क्राइस्ट आज कलइतने फ्री हो गए हैं क्या)
अब सवाल उठता है की क्या ये प्रार्थनाये फ्री हैं या बिजिनेस करने वालो को कुछ कीमत चुकानी होगी| इस दुनिया में कुछ भी फ्री नहीं मिलता यहाँ तक की मौत भीनहीं तो आइये देखते हैं की क्राइस्ट पॉल धिनाकरण के द्वारा इन बिजिनेस करने वालो से क्या कीमत वसूलते हैं अपना कृपा देने का—
१. बिजिनेस करने वाला अपनी श्रधा से कुछ भी दे सकता है क्राइस्ट को मतलब क्राइस्ट की कृपा की कीमत लग रही है यहाँ जो बिजिनेस करने वाला अपने से देखे|गुरु सभी जानते हैं की सारी गेंद एक के पाले में ही रखोगे तो वो तो बड़ी कीमत ही देगा|
२. बिजिनेस करने वाला अपने बिजिनेस में हुए लाभ का एक हिस्सा हर महीने क्राइस्ट के कदमो में क्राइस्ट के कृपा के कीमत के रूप में चढ़ा सकता है जो की पॉलधिनाकरण के जेब में जाएगी|
३. बिजिनेस करने वाला अगर ऊपर दिए गए दोनों तरह से नहीं दे पा रहा है तो वो साल के बिजिनेस में हुए लाभ में से एक हिस्सा दे सकता है क्राइस्ट के कृपा की कीमत|
४. बिजिनेस करने वाला महीने के पहले दिन की अपनी कमाई क्राइस्ट को क्राइस्ट के कृपा की कीमत के रूप में दे सकता है|
५. अपने महीने के पहले दिन के मिनिस्ट्री के आगमन के दिन की कमाई आप क्राइस्ट की कृपा की कीमत समझ कर दें|

कुछ सवाल सीधे पॉल धिनाकरण से : -

क्या आज कल क्राइस्ट अपनी कृपा की कीमत तय कर रहे हैं?
क्या एक MBA और PHD किया हुआ इन्सान कृपा बाँट रहा है या लोगो को मुर्ख बना कर कृपा की कीमत लगा रहा है?
अब जब ये इतने सालो से खुलेआम हो रहा है तो आज तक किसी मीडिया वाले की नजर इस गड़बड़ झाले पर क्यों नहीं पड़ी?
क्या मीडिया को उसके चुप रहने की कीमत क्राइस्ट के इस कृपा की कीमत में छुपा है?

साभार : जनोक्ति