नारद: June 2015

Saturday, June 20, 2015

हम न सुधरब, खाली रोवब

२१ जून को योग का जो आयोजन हो रहा है वो सबके लिए अनिवार्य है? जबरजस्ती है? कोई नहीं करेगा तो क्या उसे सजा होगी? नहीं ..... फिर कुछ विशेष लोगो द्वारा योग का विरोध समझ में नहीं आता .. आपको योग नहीं करना मत करिए, की कम्पलसरी नहीं है ...लेकिन जो विरोध कर रहे हैं वो आने वाले दिनों में “आ बैल मुझे मार” वाली स्थिति पैदा करेंगे, और गेंहू के साथ घुन भी जाने वाली स्थिति बना रहे. और बैल जब मारना शुरू कर देंगे तो ऐसे आप जैसों के साथ-साथ वो घुन भी पिसेग जो यहाँ की संस्कृति भी मानता है। फिर आपके वोटों के पेटेंट मालीक, मिडिया और आपके गुरु आदि का रंडी रोना शुरू हो जायेगा, कैसे ?? ओके ... हिन्दू भी नमाज नहीं पढता, प्रेयर नहीं करता..और उस पर कोई कम्पल्सन भी नहीं है .. कल वो नमाज/प्रेयर का विरोध करने पर उतारू हो जाए तो आप क्या करेंगे?, जिसके लिए आप स्वयं उन्हें उकसा रहे है तो आप कहाँ भागेंगे ? या रंडी-रोना रोयेंगे की आप भारत में सुरक्षित नहीं हैं.
हाँ ये अकाट्य सत्य और तथ्य आप बदल तो नहीं सकते है न की योग हिन्दू और हिन्दुस्तानी संस्कृति ही है, भारतीय संस्कृति है, आपका मजहब कुछ भी हो सकता है लेकिन संस्कृति नही, मजहब और संस्कृति दो अलग चींजे है, आप अपना मजहब मानने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उस देश की संस्कृति जिस देश का वो मूल धर्म/ संस्कृति है, को आप भारत पे थोप नहीं पा रहे जैसा की आपका का रवैया होता है, तो उसका फ्रस्टेशन भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग-योग का विरोध कर साफ़ दिखा रहें हैं जो आने वाले दिनों में आप पर घातक सिद्ध होगा. आप बहुसंख्यको को अपने खिलाफ भड़का रहे है।
आप जैसे देश के नहीं होते ये भावना आप जैसे कुछ लोगो ने ही भारतीय बहुसंख्यको के दिमाग में भरा है उन्होंने खुद नहीं भरा, अन्यथा आप भी इसी देश के हैं, आपको भी इस देश के संस्कृति से विरोध होने का कोई मतलब नहीं बनता था.
ये आप ही जैसे लोग है जो पानी भर भर के हम जैसे शांत लोगो को भी भड़का दिया आप लोगो को जवाब देने के लिए, पहले किसी शांत को बैल बनाते हो, फिर आ बैल मुझे मार कहते हो, फिर बैल मार देता है तो रंडी रोना रोते हो .. आप ही लोग जैसे थे बर्मा के रोहंगीया, आज अपने धर्म को दाख्खिन लगा के जहाज पे खुदी का मूत पि रहे है, जिन्दा रहने को मोहाल है... जो पहले आप ही लोगो की तरह आग मूतते थे किसी समय बर्मा में, और हाँ वो भी उसी देश के थे, लेकिन लगे वहां भी वहां की मूल संस्कृति को अपमानित कर अपने उस धार्मिक संस्कृति को भी पेलने की कोशिश करने लगे जो उस देश की थी ही नहीं, और खुद पेला गए कोई भी यहाँ तक की तताकथित सम-संस्कृति वाला देश भी पनाह नहीं दे रहा .
भाई जिस देश में हो उसी देश की संस्कृति की इज्जत करो, मजहब चाहे जो हो, दुसरे के धर्म की भी इज्जत करो साथ ही उस देश के “मूल संस्कृति” की. नहीं जब फसोगे त कोई आने नहीं वाला बचाने, और नहीं तुम्हारे दुनिया भर के भाई के कुछ नहीं कर पायेंगे, इसलिए पानी सर से ऊपर मत होने दीजिये. 
जैसे दुनिया टेक्नोलॉजी के लिए जापान, दूध के लिए डेनमार्क, बेहतरीन उन के लिए न्यूजीलैंड की ओर देखती है, उसी तरह बेहतरीन योग और योग टीचर के लिए दुनिया भारत की तरफ देखेगी।
मोदी की दूरदर्शिता सिर्फ भारत को स्वस्थ ही नहीं करेगी बल्कि योग के जरिये लाखो ग्लैमरस जॉब भी दिलवाएगी.. वैसी ही जैसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.. अब नौजवान योग सीखेंगे और दुनिया भर घूमेंगे..आर्थिक रूप से भी सम्पन्न होंगे.. योग भी अब एक जरिया बनेगा भारत के आर्थिक विकास में..भारत के लोगो को एक नया अवसर मिलेगा आगे बढ़ने का..फिर भारत का का नौजवान दुनिया भर योग सीखा के आर्थिक रूप से भी.. अपने और भारत को मजबूत करने में योगदान रहा होगा। ..
भारत का नौजवान? सारे? ..कुछ लोग भी..? नहीं.. ये न कुछ सीखने के लिए बने न सिखाने के लिए..ये बस विरोध के लिए बने है..रंडी-रोना के लिए बने है....तो उस समय ये अपना फेवरेट काम करेंगे जिसमे ये स्किल्ड है ...रंडी-रोना का..ये रंडी-रोना मचाएंगे.. कि इस देश में हम पिछड़े है , गरीब है, हमारे लिए कोई मौके नहीं है.. आगे बढ़ने का अवसर नहीं..हमारे साथ भेदभाव होता है.

सादर 
कमल