विष्णु नारद से : नारद कोई अपडेट मिला भारत का , आजकल उसके भविष्य की बड़ी चिंता रहती है मुझे है , सुना है घोंघा बसंत उर्फ अमूल बेबी ने कुछ कहा आज अपनी मम्मी के भाषा में ....
नारद : अन्ना अन्ना , प्रभु क्या बताऊँ , बात ही पूरी हो पाई उसकी , भुला गया बीचे में की क्या बोलना है , वहां परदा भी नहीं था की पीछे से कोई प्रौन्टिंग कर देता , खैर सुनने में आया हैं , भयंकर जंतु पार्टी ने खुल के समर्थन कर दिया दूसरे गाँधी का ,
विष्णु : ये ऊंट करवट बैठा कैसे ??
नारद : प्रभु सरकार के गिरगिट की तरह रंग बदलने के कारन ऊंट भी करवट बैठ गया .
विष्णु : जरा विस्तार से बताओ नारद गोल गोल बातें समझ में नहीं आती , हम पालन कर्ता हैं , सर्कार नहीं की तुम्हारी कुटिल बातों को समझे .
नारद : प्रभु तो सुनिए , एक बार तो सरकार बोलती है की बातें मान ली , फिर वही गिरगीरटाने स्टाइल में में रंग बदला और कहा कुछ टाइम चाहिए , ताकि समय और बर्बाद हो , सेकेण्ड गाँधी के समर्थक उनके मुह में अन्न ठूंस दे , आखिर मारना तो वो भी नहीं चाहते उनको , सरकार एक दम अपने इन्द्र जैसे हो गयी वहाँ की , आपके एक बहुत पुराने पुत्र चाणक्य के पुरे नियमों को फालो कर रही है , सुना है रात में कुछ मुस्टंडे भी भेजे थे उनके गिरोह में उनकों धूमिल करने हेतु .
पहले तो कबूतर बाजों से चिठ्ठी मंगवाई अन्ना जी से , और उसका खुद का कागजे खतम हो गया , जबाव तक नहीं दिया .
फिर अगले ही दिन मुन्नू ने सेकंड गाँधी को सैलूट भी मारा , ऊपर से एक उदंड से भी माफ़ी मंगवा दी , और संसद में सभी पार्टयों से सहमति ले के अनशन तोड़वाने में पूर्ण सहमति ले ली .. यानि "इज्जत दे के आन्दोलन बंद" .
भयंकर जंतु पार्टी समझ गयी की इफ्तियार पार्टी वाली डील कैंसिल कर रही है सरकार , अन्ना को गले लगा के अगले साठ और साल मलाई खाने के चक्कर में है , ये देख उन्होंने ने भी पूर्ण सहमति दे दी , जो की मुन्नू के गली की हड्डी बन गयी , न उगलते बन रहा है न निगलते . झटके फटके में आखिर चर्चा करा दी , बाकि घोंघा बसंत का तो आपको मालूम ही है
विष्णु : तो क्या अन्ना खुश हुए ??
नारद : प्रभु , अन्ना बच्चे नहीं नहीं है , उनको सरकार का इज्जत रूपी लोली पोप नहीं , जन्लोक्पाल चाहिए . " क्यों घबराता है प्यारे इज्जत ले के ?? - पकड़ा जाये , छूट जा इज्जत ले के " वो समझ गए की इज्जत देने के बाद उनसे लिखित आश्वाशन माँगा जा रहा हैं , जो इज्जत लुटने की पूरी तयारी है , जैसे बाबा के साथ किया था , बाबा तो कूदान मुद्रा में भाग लिए लेकिन ये ऐसे न मानेगा , आखिर जनता जनार्दन भी तो है .
विष्णु : तो क्या स्वर्ग से अश्विनी कुमार को भेजा जाये , मुन्नू एंड कंपनी के दिमाग का इलाज करने ??
नारद : ना प्रभु ना , मान लीजिए सरकार उनको भी अपने कुटिल जाल में फांस लिया , सूरा , सुंदरी या इफ्तियार पार्टी दे डाली और वो वहीँ के हो कर रह गए तो , तो आप स्वर्ग के वैद्य से भी हाथ धो बैठेंगे . भ्रस्चाटार के विशेषज्ञ अन्ना ही हैं , सम्हाल लेंगे , हम जैसों का पृथ्वी पे जाना ठीक नहीं है इस परिपेक्छ्य में ..
चलिए प्रभु आप छीर सागर र की ताज़ी हवा लीजिए , हम चले रामलीला मैदान , .. अन्ना अन्ना ..
कमल
२६/ ०८ / २०११
1 comment:
रस्चाटार के विशेषज्ञ अन्ना ही हैं , सम्हाल लेंगे , हम जैसों का पृथ्वी पे जाना ठीक नहीं है इस परिपेक्छ्य में ..
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बहुत उम्दा व्यंग कमल भाई.. लगे रहिये..
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