नारद: उग्र भयानक और डरावना: कवि

Sunday, September 23, 2012

उग्र भयानक और डरावना: कवि



पहले मै परेशान था  हैरान था , 
रोज आने वालो मेहमानों से अनजान था . 

एक मित्र को मैंने व्यथा बताई , 
वो बोले कलम के जमाई , 

तू क्यों परेशां है , हैरान है ?? 
तेरे पास तो सबसे बड़ा हथियार है , 

बात मेरे समझ में आयी , 
जल्द ही आजमाने की भी बारी आई . 

एक दिन  गाव से एक सज्जन पधारे , 
धम्म से बैठ गए सोफे पे रख  सामान किनारे , 

मुझसे कहा :- 

शाम को एक ऑटो कर लेना , कनात प्लेस चेलंगे , 
मई तड़ कहा , उससे पहले आप मेरी कविता सुनेंगे , 

कविता का नाम सुनते ही मायूस हो गए 
बोले  सुन  आज मूड नहीं, कनात प्लेस भी फिर कभी  चलेंगे , 

मैंने पूछा कितने दिन रुकेंगे ?? 

बोले दो चार दिन रुकुंगा, 
तुम्हारा आथित्य लूँगा , आशर्वाद दूंगा ,

मैंने कहा ठीक है , 

बिल्ली के भाग से छेंका फूटा , रोज आपको  कविता सुनाऊंगा 
बन पड़ा तो साथ कवी सम्मलेन में भी ले जाऊँगा ,  

अगली सुबह देखा तो सामन के साथ तैयार खड़े थे , 
यहाँ नहीं लग रहा मन, मई समझ गया था इनको मेरे कविता का डर. 

बोले आज बिटिया के यहाँ जाऊँगा , वही डेरा जमाऊंगा , 
कम से कम तेरी कविता से तो बच जाऊंगा . 

वो चले गए , युक्ति काम आया ,
तभी सरकार की तरफ से पैगाम आया , 

सुनो आजकल आन्दोलन बहुत हो रहे है , 
भगा पाओगे ?? 

मैंने कहा , आप तो सरकार है आन्दोलन से डरते है ?
उसने कहा , नहीं , उनके कवियों से , 

बाबा के कवी जोशीली कविता पढ़ते हैं,
बाबा से नहीं उनके कवियों से डरते है ,..

सुना है की अब अमेरिका के  बुजुर्ग भी आते है, 
योग से काम न हुआ तो, कवियों से ही जोश भरवाते है.

बाबा अन्ना  क्या है , इनको तो देख लें , 
इन कवियों का कुछ करो ये  नाहक उत्पात मचाते है . 

हम सी बी आई भेज्वाते हैं , उनपे छपा मारने को , 
वो द्वार अपने कवी खड़े कर देते  उनको कविता सुनाने को , 

एक दो को तो सुना भी दिया , जो आज तक कोमा है , 
जो भाग लिए थे बच के , उनका जीना दूभर है ,

कोई एसा उपाय लगाओ , उनके कवी भाजपा हो जाए ,  
बैठे हो के शांत , हम भी खाए वो भी खाए ,. 

कभी कभी आपसी सहमती से हूट कर लेंगे , 
मौका देख के सही सटाक , लूट क्र लेंगे . 

मैंने कहा ,   

भाई कभी नाई के बाल कभी  नाई काटता है ??
आपको भी,  कभी कोई सांप कटता है ?? 

जो काट ले गलती से भी अगर , 
तो वो सांप क्या पानी भी मांगता है ?? 

आप जाओ ये काम मै नहीं करूँगा , 
जादा परेशान करोगे तो दो चार कविता सुना दूंगा , 


कविता ने किया मेरा बड़ा उपकार , 
लोगो को दूर करने में आया बड़ा काम . 

अब आप लोग बता दो मई आपसे दूर हुआ या पास , 
 जादा परेशान नहीं करूँगा अब , सबको राम राम ...

 (कमल ) १६ सितम्बर २०१२ 

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