पहले मै परेशान था हैरान था ,
रोज आने वालो मेहमानों से अनजान था .
एक मित्र को मैंने व्यथा बताई ,
वो बोले कलम के जमाई ,
तू क्यों परेशां है , हैरान है ??
तेरे पास तो सबसे बड़ा हथियार है ,
बात मेरे समझ में आयी ,
जल्द ही आजमाने की भी बारी आई .
एक दिन गाव से एक सज्जन पधारे ,
धम्म से बैठ गए सोफे पे रख सामान किनारे ,
मुझसे कहा :-
शाम को एक ऑटो कर लेना , कनात प्लेस चेलंगे ,
मई तड़ कहा , उससे पहले आप मेरी कविता सुनेंगे ,
कविता का नाम सुनते ही मायूस हो गए
बोले सुन आज मूड नहीं, कनात प्लेस भी फिर कभी चलेंगे ,
मैंने पूछा कितने दिन रुकेंगे ??
बोले दो चार दिन रुकुंगा,
तुम्हारा आथित्य लूँगा , आशर्वाद दूंगा ,
मैंने कहा ठीक है ,
बिल्ली के भाग से छेंका फूटा , रोज आपको कविता सुनाऊंगा
बन पड़ा तो साथ कवी सम्मलेन में भी ले जाऊँगा ,
अगली सुबह देखा तो सामन के साथ तैयार खड़े थे ,
यहाँ नहीं लग रहा मन, मई समझ गया था इनको मेरे कविता का डर.
बोले आज बिटिया के यहाँ जाऊँगा , वही डेरा जमाऊंगा ,
कम से कम तेरी कविता से तो बच जाऊंगा .
वो चले गए , युक्ति काम आया ,
तभी सरकार की तरफ से पैगाम आया ,
सुनो आजकल आन्दोलन बहुत हो रहे है ,
भगा पाओगे ??
मैंने कहा , आप तो सरकार है आन्दोलन से डरते है ?
उसने कहा , नहीं , उनके कवियों से ,
बाबा के कवी जोशीली कविता पढ़ते हैं,
बाबा से नहीं उनके कवियों से डरते है ,..
सुना है की अब अमेरिका के बुजुर्ग भी आते है,
योग से काम न हुआ तो, कवियों से ही जोश भरवाते है.
बाबा अन्ना क्या है , इनको तो देख लें ,
इन कवियों का कुछ करो ये नाहक उत्पात मचाते है .
हम सी बी आई भेज्वाते हैं , उनपे छपा मारने को ,
वो द्वार अपने कवी खड़े कर देते उनको कविता सुनाने को ,
एक दो को तो सुना भी दिया , जो आज तक कोमा है ,
जो भाग लिए थे बच के , उनका जीना दूभर है ,
कोई एसा उपाय लगाओ , उनके कवी भाजपा हो जाए ,
बैठे हो के शांत , हम भी खाए वो भी खाए ,.
कभी कभी आपसी सहमती से हूट कर लेंगे ,
मौका देख के सही सटाक , लूट क्र लेंगे .
मैंने कहा ,
भाई कभी नाई के बाल कभी नाई काटता है ??
आपको भी, कभी कोई सांप कटता है ??
जो काट ले गलती से भी अगर ,
तो वो सांप क्या पानी भी मांगता है ??
आप जाओ ये काम मै नहीं करूँगा ,
जादा परेशान करोगे तो दो चार कविता सुना दूंगा ,
कविता ने किया मेरा बड़ा उपकार ,
लोगो को दूर करने में आया बड़ा काम .
अब आप लोग बता दो मई आपसे दूर हुआ या पास ,
जादा परेशान नहीं करूँगा अब , सबको राम राम ...
(कमल ) १६ सितम्बर २०१२
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