मुंबई के मुसलमान बहुल क्षेत्र के नेता अबू आजमी ने राज ठाकरे से दो करोर की शर्त लगा दी इस बात का सबूत देने के लिए की उनके क्षेत्र मे एक भी बांग्लादेशी नहीं है. इनकी ये बुध्धिमानी कही जाए या मूर्खता ??? पहली बात तो नेता है तो दिमाग का होना दूर की कौड़ी, ऊपर से इस्लामी नेता.
२१ अगस्त को राज ठाकरे द्वरा अबू आजमी को "भडुआ" की उपाधि दी गयी थी, मुझे थोड़ी बहुत मराठी आती है सो मै समझ पाया नहीं तो मिडिया के ट्रांसलेटर पूरा अनुवाद नहीं करते थे, दी गयी उपाधि सही है या गलत ये तो राज ठाकरे या अबू आजमी ही बता सकते है लेकिन अबू आजमी का शर्त लगाना इस बात गवाह है की अमर जवान समरक तोडने वाला भारतीय मुसलमान ही था, क्योकि उनके क्षेत्र मे एक भी बांग्लादेशी नहीं. इस तरह से देखा जाए तो सारा कांड बंगला देशियों के मत्थे फोड राज ठाकरे ने एक तरह से भारतीय मुसलमान की तरफ दारी ही की थी, लेकिन अबू आजमी के शर्त के साथ ही ठाकरे की बात ख़ारिज कर सिध्ध करने की कोशिश की है भारतीय मुसलमान भी भारत के शहीदों के प्रति सम्मान नहीं रखता, क्योकि मूर्तियां या स्मारक अल्लाह की उस तथाकथित किताब मे नहीं.
अब अबू आजमी से पूछा जाना चाहिए की भाई ये दो करोर रूपये लाओगे कहाँ से ?? मुसलमानों से जेहादी चंदा इकठ्ठा कर के, या अपने पद का दुरुपयोग करके, क्योकि जहाँ तक मुझे मालूम है एक विधायक की इतनी तनख्वाह नहीं होती की वो दो करोर यूँ ही अपने शर्त पे लगा सके, वो भी ये सिध्ध करने के लिए की भारतीय मुसलमान गद्दार है. अपना शाशन ठीक ठाक प्रत्यारोपित करने के चक्कर मे इन्होने भारतीय मुसलमानों को ही गद्दार बना दिया. या ये हो सकता है की कोई अरब या पाकिस्तान सम्बन्धित संस्था ने इनको दो करोर फाईनेंस किया हो, क्योकि किसी भी इस तरह के चीजों मे भारतीय का हाथ नहीं होता, ये तो बस बिचारे साधन होते है. और इस बात से इनकार ही नहीं किया जा सकता. जब असम , म्यांमार के मुसलमानों के लिए भारत मे दंगा, तोड़ फोड , आगजनी हो सकती है तो इस्लाम के नाम पर बाहर से फंडिंग होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता. क्या कोई इनसे पूछेगा की ये दो करोर रूपये अपने इस शर्त शौक कजे लिए कहाँ से पैदा करेंगे ???
अब इस बात को वो गैरमुसलमान भारतीय भी नहीं झुठला सकते जिनको सेकुलरिज्म का कीड़ा काट बैठा है.
यानि अब मान लेना चाहिए की मुसलमानों का देश से कोई लेना देना नहीं होता, ये मै नहीं अबू आजमी कह रहे है, बांग्लादेशियों के शामिल होने का कयास ख़ारिज करते अबू आजमी जी को हम लोग हार्दिक धन्यवाद देते है, कम से कम सच तो बोला, उपद्रवी वो भारतीय मुस्लिम थे, बांग्लादेशी नहीं .
3 comments:
bahut achchha aur tark poorn likha hai.
:)
किताब में बम, जहाज, कम्प्यूटर, राकेट लांचर वगैरह हैं क्या? शायद नहीं होंगे, लेकिन इनका इस्तेमाल तो फिर भी होता है और खूब होता है|
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