आज कल आउट सोर्सिंग का जमाना है ,
बच्चे न हो कोई बात नहीं , रिकी डोनाल्ड का जमाना , है ,
हमने कहा एक कवी मित्र से यार अच्छा हास्य लिखते हैं ,
मेरे लिए भी लिखो कुछ , उसको हम अपने नाम से पढते हैं , '
कहा ससुर ऐसा करके हमो क्या मिल जायेगा,
तुम्हारा हाल भी नारायण दत्त जैसा हो जायेगा ,
मेहनत करेंगे हम, ताली तुम ही लोगे ,
लिख भी दिया तो ये बताओ पैसे कितने दोगे ,
मै बोल्का भाई करो न द्रव्य कि बात ,
इसी द्रव्य के चक्कर मे , बुझी न किसी कि प्यास ,
इसके बदले मे मै तुम्हारा सम्मान करूँगा ,
जितना हो सके स्नेह और प्यार दूँगा ,
मित्र बोला चुप लम्पट क्या देगा मुझको प्यार ,
मिला नहीं जब मुझको उससे , जिससे किया इकरार ,
आज भी दिल पे मेरे दिल पे सांप लोट जाते हैं,
जब कभी मेरे आउट सोर्स पुत्र मामा कह बुलाते हैं
कमल ( १८ जून २०१२ )
2 comments:
जू जू काटे काट जू, भांजे की ललकार |
चापर चॉपर चोट दे, बनता बुरा बिहार |
बनता बुरा बिहार, बड़ा लालची मीडिया |
विज्ञापन की दौड़, चढ़े क्यूँ वहां सीड़ियाँ |
रे प्रेस के अध्यक्ष, माँग के खाए काजू |
ले सत्ता का पक्ष, डराए कह के जू जू ||
बहुत सुन्दर
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
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