नारद: मेरा और प्रभु का संवाद - भाग दो

Monday, October 3, 2011

मेरा और प्रभु का संवाद - भाग दो

नारायण नारायण !!  हे प्रभु हमें  तीन महीने कि छुट्टी चाहिए, बिग बोस् देखना है !!!

विष्णु : क्यों वहाँ तो पहले ही बहुत से लोग है  तुम क्या करोगे जा के ? सुना है बर्तन मजवातें हैं, और किसी ने तुमको पिट पाट  दिया तो, शक्ति कपूर भी तो है वहाँ, वो तो एकदम धर्म, जाती, मानव, पशु,  लिंग, देव, दानव, सबको एक बराबर देखता है १०० प्रतिशत शुध्ध निरपेक्ष है, उसकी नियत का कोई ठिकाना नहीं, कहीं तुम्हारे  साथ कुछ उंच नीच हो गया तो ? तुम अपना सर्वस्व खो सकते हो !!!

"आप हमेशा उल्टा क्यों सोचतें हैं ???कभी तो कोई ढंग कि बात किया कीजिये, जब देखो डरातें रहतें हैं.  आप अश्विनी कुमार से कान का इलाज कराईये, मैंने देखने कि बात कि है, प्रतियोगी बनने कि नहीं.  इस समय में मेरी ये लालसा नहीं.  क्या मै आपको एल के अडवानी लगता हूँ ?? पता नहीं कौन सा जवानी का तीर मारेगा अब भी  उसकी लालसा जाती ही नहीं, जब जवान था तब तो सहोदर ने हथिया लिया, अब बुढौती में मोदी, उसका  समय पूरा हो गया है अब हमारी जमात में आके आपके नाम लेने के दिन हैं उसके. निकलेगा रथ ले के , गुजरात के एडमिन मोदक ने तो बैन मार दिया उसको अब किसी बिहार ग्रुप में घुस के रथ खिचेगा   "

विष्णु : नारद , ये प्रकृति का नियम है , ला ऑफ द नेचर, हर मनुष्य के आगे बढ़ने का का रास्ता दूसरे के कंधे से हो के जाता है , जिस दिन ये सारे कंधे साथ साथ आ जाये, भारत विश्व गुरु हो जाये, लेकिन सबके विकास होने से कौन किसपे राज कर पायेगा ?? कौन किसको लूटेगा ?? तो कंधे को ही सीढ़ी माना जाता है.
 "
प्रभु आप हमको मुद्दे से भटका रहे हैं, हम भारत कि निरीह जनता नहीं कि भटक जाएँ , पहले वहाँ लोग गरीबों को अमीर बनाते है , फिर उन्ही चोरों में से कोई संशोधन के लिए विरोध करता है, और जनता फिर वही कि वही, निरीह असहाय !!

विष्णु : भाई जो भी हो  लेकिन इस योजना से कम से कम लोगो कि भक्ति हमारी तरफ बढती, ३२ रूपये से कम पाने वाले लोगो को नरेगा और मनरेगा से ले के बाकी सुविधावों से वंचित रखा जाता, जहाँ लोग हप्ते में एक दिन फाका करतें हैं, ४ दिन करतें, थक हार के हमारा नाम लेते,  लोगो का परलोक सुधर जाता,  भूखे रहने से कमजोरी आती, खून ठंडा रहता  जिससे झगडा कम होता और लोग अहिंसा वादी बनते, लोग भूख से भी जादा  मरते जिससे जनसँख्या कम होती और देश का विकास होता.जो भी हो जिसने भी ये योजना बनायीं है, वो परम भक्त है हमारा !

" नारायण नारायण " आप खान्ग्रेसियों कि तरह क्यों कुतर्क  दे रहें हैं ?? क्या आप भी मानतें हैं कि " धुप में बारिश हो तो सियार का बियाह होता है"  ???

विष्णु : भाई हम पालक हैं, हमें भी प्रकृति के अनुसार ही दुनिया चलाना होगा ! हम तो  सीख रहें है अब कुछ न कुछ , सोचता हूँ इस बार मै भी चलूँ तुम्हारे साथ, मंदमोहन से मिलवा देना, फिर देखना किसकी मुस्कान मोहक है मेरी या मंदमोहन कि , मेरी हुई तो मै जीता और जैसा चाहूँगा  वैसा करूँगा, और मंदमोहन कि हुई तो भी मै जीता, आखिर वो भी तो है  हमारा ही बच्चा !!!

"नारायण नारायण " फिर वही बात , चित भी आपकी , पट भी आपकी , जब चाहो दाम बढ़ा दो , चुनाव के समय कम कर दो, ये भी कोई बात है ??  प्रभु आप देव हैं इन सब पचडों में मत पड़े, नहीं लोगो का विश्वास आपके प्रति कम हो गया है , लोग यम को विष्णु बना देंगे और आपको यम, अब वहीँ देख लीजिए लोग खान्ग्रेस को छोड़ के खाजपा के चक्कर में पड़े हैं, प्रभु आप पहले वाले ही बन जाओ जैसे गांधी, लाल बहादुर थे,  नयी भ्रष्ट पीढ़ी का देख के लिलार मत फोड़ो  सिर्फ खून ही निकलेगा और माथा लाल होगा नहीं, दर्द होगा वो अलग ..!

 आप को मै न ले जाऊंगा अपने साथ कहीं राबर्ट के साथ सेट हो गए तो ? वहाँ कि जनता ने  आप पर नज़रें गडा रखी हैं, जो जनता कल तक आपको पुजती थी, वही अब उल्टा सीधा कहती है, वो समझ चुके  हैं कि आप पहले वाले पालन कर्ता नहीं रहे, आप छीर का पानी त्रिशंकु के राज्य में भी दे रहे हो !जनता पीड़ित हो के  आप से जादा यम को याद करती  है.
उनकी पीड़ा को सुनिए महसूस कीजिये, और कुछ कीजिये जनसमर्थन जुटाईए तभी छीर का पानी ठंडा लगेगा, कहीं ऐसा न हो, जनता कि आग आपके सागर को उबाल के रख दे, और आपके गद्दी रूपी शेष नाग जी उसकी तपिश न झेल, पतालावस्था को प्राप्त कर लें.आप सत्ता सीन हैं, हम जनता, हमने अपनी बात आप तक पहुंचा दी, बाकी निर्णय आपका है !!!!  नारायण नारायण !..

कमल
kamalunmatchable@gmail.com
kkumarsinghkamal@gmail.com


6 comments:

रविकर said...

शानदार प्रस्तुति |
बहुत-बहुत आभार ||

रेखा said...

वाह ..बहुत खूब

Anonymous said...

hila diye.. kamal bhai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सभी संस्मरण बहुत बढ़िया लिखे हैं आपने!

कविता रावत said...

vartman ko drishtigat kar Narayan se badiya samvaad karti prastuti..

JYOTI said...

wah lajabab kamal da.