शाम का समय, दो चार नौजवान गोलगप्पे की दूकान पे खड़े, ठेले पे आने जाने बालिकाओं को देख रहे थे हलाकि उनका खुद गोलगप्पा खाने का कोई विचार न दीखता था, किसी मुद्दे पे बहस कर रहे थे .
मै कार्यालय से घर जाते समय उसी ठेले पे पांच गोलगप्पे खाने के बाद सात प्लेट गोलगप्पे का पानी जरुर पीता हूँ, सो मै अपना निर्धारित सांयकालीन नित्य क्रिया कर ही रहा था की उसी भीड़ में से एक की आवाज जनता की आवाज की तरह मेरे कानो में पड़ी, " मुह काला हो गया "
दूसरा "किसका कैसे " ??
तीसरा "अरे किसी का नहीं , एक पोस्टर का , और उसके लिए बिचारे की कितनी पिटाई हो गयी, अब तू भी विज्ञापन पे छपी लड़कियों के मुछ दाढ़ी न बनाया कर नहीं तो पिट जाएगा ख्वामखाह ".
पहला : " यार अबकी इस सरकार को सबक सिखाना है , इसको हराना है "
दूसरा : भाई गोलगप्पे के ठेले के पास खड़े हो के कोसने से कुछ नहीं होगा बेहतर है चुनाव में गांव जाओ , मतदान से हराओ.
पहला : "गांव जाना न हो पायेगा" .
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इस तरह की चर्चाये आपको अक्सर हर जगह मिल जाएँगी चाहे वो चाय की दूकान हो, गली मोहल्ला या गूगल फेसबुक जैसी सोशल मीडिया.
सच ही तो है, जो समझदार है और मतदान के दम पर कुछ करना चाहते हैं वो मतदान नहीं कर सकते क्योकि अधिकतर उनमे से अपने क्षेत्र के बहार कार्यक्षेत्र में रहना होना है , बाकि जो गईं या कस्बो में हैं वो किसी न किसी बात से प्रभावित हो गलत प्रत्याशी को मतदान कर देते हैं. न्यू मीडिया ने निश्चित ही लोगो में जागरूकता जगाई है , लेकिन अधिकाँश लोग अपनी भड़ास सरकार की नीतियों और सरकार की आलोचना में निकाल देते हैं, वोट देने का मौका उन्हें नहीं मिल पाता जो अपने घर या क्षेत्र से दूर होते हैं और चाह कर भी अपे वोट की ताकत का इस्तमाल नहीं कर पाते.
तो प्रश्न आता है की क्या इसका कोई उपाय है या हो सकता है ??
मेरे समझ से वोटिंग में भी चुनाव आयोग को इंटरनेट का इस्माल किया जाए जाए वैकल्पिक मतदान के लिए, ताकि कोई भी कहीं से भी अपना मतदान कर सके. इसके लिए चुनाव आयोग प्रत्येक जो विकल्प वश नेट मतदान करना चाहता है, को विशेष लोग इन आई डी दी और पास वार्ड दिया जाये जिसे वो सिर्फ चुनावी दिनों में बस एक बार कर सकता है.
अब कुछ लोगो का सवाल होगा फर्जी वाडा ,
नहीं ये नहीं हो सकता ,इसीलिए मै कह रहा हूँ की सारी चीजें चुनाव आयोग की देख रेख में हो ,
अरे भाई जब रुपये पैसे जैसे सवेदनशील मुद्दे इंटरनेट से किया जा सकता है जैसे इन्टरनेट बैंकिंग इत्यादि , तो ये तो साल में बस कुछ बार होने वाला चुनाव मात्र है ,
आप लोगो का क्या सुझाव है दीजिए , तो लेख आगे बढ़ाएं :)
कमल
10 comments:
कमल.. कमाल की सोच हैं ...भाई वाह
मेरे ख़याल से सुझाव अच्छा है....
पर इससे नेताओं का नुकशान हो जायेगा ना ही वोगस वोटिंग होगी ना ही कोई धांधली...... जो चिद्दी जैसों को शायद पसंद ना आये.....;)
या हो सकता है उन् जैसों को बहुत पसंद आये और चुनाव आयोग को पता के मेन सर्वर को ही इस्तेमाल करे वोटिंग के लिए......
कुछ भी हो सकता है.......!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 30-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
विचारणीय हैं सारे बिंदु.... सार्थक पोस्ट
Nice post.
Please See :
ब्लॉगर्स मीट वीकली (28) God in Ved & Quran
http://hbfint.blogspot.com/2012/01/28-god-in-ved-quran.html
वाह ..बहुत बढि़या।
सही सुझाव है,परंतु इस देश की त्रासदी ही गलत सुझावों पर चलने की.फिर भी आशा है,यदि ऐसा हो जाय.
आपका प्रस्ताव विचारनीय सराहनीय है इसे आगे बढ़ा न चाहिय |
मै आपकी बात से सहमत हूँ.....एक बढ़िया सोच है आपकी..............पर मै यहाँ पर एक बात और कहना चाहुगा :कहा जाता है कि हिंदुस्तान असीम प्रतिभा का भंडार है पर क्या एक डिग्री धारक ही किसी कार्य के सबसे शीर्ष पृष्ठभूमि दे सकता है तो जवाब है नहीं देश में ऐसे लोगों के गिनती लाखो में है जिनके पास कोई डिग्री ना होते हुए किसी कार्य की शीर्ष पृष्ठभूमि देने की छमता है पर कौन पूछता है उन्हें?पूछा तो उनको जाता है जो कुछ लेंन- देंन कर सके।.
mujhe baat acchi lagi....
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