नारद: दिल के मतदान का घमसान

Thursday, February 2, 2012

दिल के मतदान का घमसान


दिल के मतदान की तिथि १४ फरवरी नजदीक है, सभी मेल /फिमेल  उम्मीदवार हफ्तों पहले से चाक चौबंद है,  युध्ध स्तर पर तैयारी पे लगे हैं, कोई इन्टरनेट से प्रचार कर रहा है, ढूंढ रहा है, छांट रहा है, मुह मार रहा है,  कोई मिस्ड काल से कैंडिडेट चुन रहा है, और जिनका क्षेत्र और सीट निर्धारण हो चूका है और जीतना भी लगभग तयवो आने वाले दिनों में घोटाला कब कैसे और कहाँ कैसे करे की योजना बना रहें है. , कुछ उम्मीदवार जो पहले किसी सीट से जीते थे वो इस साल निर्वाचन क्षेत्र बदलने की सोच रहें हैं, नयी सीट के जुगाड़ में है.


दिल और “शरीर” का "रवा" होना शुरू हो गया ताकि किसी भी स्तिथि से निपटा जा सके, पाँव को मजबूत बनाया जा रहा ताकि किसी शक्ति कपूर या अमरीश पूरी के पकड़ में आ जाएँ तो भागने में सुभीता हो.  कुछ उम्मीदवार  जिनकी उम्मीदवारी शादी होने के कारन निरस्त कर दी गयी है वो अपना सर धुन रहे हैं, बजरंग दल में शामिल होने की योजना बना रहें है.

इस दौरान बजरंग दल के साथ साथ कुछ माता पिता या भाई जैसे चुनाव विरोधी संगठन भी सक्रीय हो सकते है इसको ध्यान में रखते हुए सारे उम्मीदवार ख़ास किस्म की सतर्कता बनाये हुए हैं. जिन सीटो पे कई उम्मीदवार हैउम्मीदवारों ने ख़ास किस के अलग अलग लुभावने प्रस्तावों  से आकृष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है.


उम्मीदवार बड़े मेहनत से दिन रात जुटे हुए हैं, न भूख की चिंता, न प्यास की, कुछ उम्मीदवार तो अपने निर्वाचन  क्षेत्रो के दस दस चक्कर लगा रहे हैं, और दिल से मन ही मन या नजरो से अपनी उम्मीदवारी मजबूत कर रहे है, कुछ मोटर सायकिल से करतब दिखा रहे हैं, कुछ नए नए गाने याद और उसका रिहाल्सल कर रहे,  फिर भी अपनी बात पार्टी तक नहीं पंहुचा पा रहें हैं, कुछ तेज तर्रार शातिर उम्मीदवार बड़े आसानी से प्रचार प्रसार पा  रहें हैं, कुछ तो कई सींटों क्षेत्रो से चुनाव लड़ने की तयारी में है, शायद कोई न कोई सीट निकल जाए और सीट के हिसाब से समय सारिणी तय कर रहें हैं.

इन उम्मीदवारों के समर्थक और मित्र भी जम के साथ दे रहें हैं और बदले में रोज शाम मुर्ग और दारू का भक्षण किया जा रहा है, महिला समर्थको को हफ्ते भर का जीमना भी संज्ञान में आया है.

कुछ उम्मेदवार ऐसे भी है जिनको संसदीय क्षेत्र और सीट दोनों का निर्धारण करना बाकी है, वो असमंजस में है की कौन सा क्षेत्र बेहतर है. कुछ उम्मीदवार ऐसे भी है जिनको पिछले चुनाव में लात घुसे भी पड़े थे, वो सन्यास लेने का मन बना दूसरों का खोड़ करने के चक्कर में है. कुछ जिनका सीट ने खुद टिकट कट दिया  या गद्दारी हुई, जिनका दिल टुटा हुआ है, वो इस चुनाव को ही सिरे से ख़ारिज करते हुए सीट और संसदीय क्षेत्र के बारे में नए उम्मीदवारों को बताने की सोच रहें हैं. उनका कहना है इस तरह की  चुनावी घपले बाजी ठीक नहीं, प्यार वाली राजनीति  बस शारीरिक सत्ता के लिए होती है,  आदि आदि .

इसी कड़ी में कुछ नए उम्मीदवार अपनी जित पक्की करने के उद्देश्य से पुराने उम्मीदवारों से सलाह मशवरा कर रहें हैं, पेचिदिगीया समझ रहे हैं और उनको दूर करने का उपाय भी बताया जा रहा है,कुछ भ्रष्ट उम्मीदवार जिनके घोटाले भूत में सामने आ चुके हैं, माँ बाप आयोग ने संज्ञान में लेते हुए उम्मीदवारी निरस्त कर दी है और मतदान के दिन  घर में नजर बंद रखा जाना तय है. कुछ उम्मीदवार जिनकी सीट भूत में किसी दुसरे उम्मेदवार ने छीन ली थी, इस बार वापस लाने को प्रतिबध्ध है.


अब देखा जाना है की १४  फरवरी को जीत का सेहरा कितनो सर पे बधना है, और कितने अपना सा मुह ले के कहीं मुह मारने लायक नहीं रह जायेंगे. जो चुनाव जीत जाएँ उनको शुभकामना, और जिनकी डेट एक्स्प्यार हो चुकी है, वो हनुमान भक्त हो ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

तब तक के लिए नमस्कार .

कमल

०२/०२/२०१२

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

कल के चर्चा मंच पर भी आपकी इस पोस्ट की चर्चा लगा दी है!