नारद: बचपन

Wednesday, April 27, 2011

बचपन



बचपन और जवानी में अन्तर है वैसे , रामदेव और नित्या नन्द में जैसे ,

बचपन में जिस पडोसी के लड़की को पीटा करते थे एक टोफ्फी के लिए , की हम छोटे न हो जाये ,
आज उसी को डैरी मिल्क देते हैं , कहते हैं "कुछ मीठा हो जाये" ,

बचपन में खेलते हम खलियानों में वो अब बस जहन में हैं ,
आजकल खेत भी तो फेसबुक पे है ,

बचपन का वो एक रुपया , ख़ुशी महीनो लाता ,
अब तो डोलर में भी महिना नहीं चल पाता ,

आओ लगाये कोई जुगत चले उसी बचपन में ,
नहीं तो दुनिया की मार पड़ेगी अबकी इस उम्र 55 में

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