बचपन और जवानी में अन्तर है वैसे , रामदेव और नित्या नन्द में जैसे ,
बचपन में जिस पडोसी के लड़की को पीटा करते थे एक टोफ्फी के लिए , की हम छोटे न हो जाये ,
आज उसी को डैरी मिल्क देते हैं , कहते हैं "कुछ मीठा हो जाये" ,
बचपन में खेलते हम खलियानों में वो अब बस जहन में हैं ,
आजकल खेत भी तो फेसबुक पे है ,
बचपन का वो एक रुपया , ख़ुशी महीनो लाता ,
अब तो डोलर में भी महिना नहीं चल पाता ,
आओ लगाये कोई जुगत चले उसी बचपन में ,
नहीं तो दुनिया की मार पड़ेगी अबकी इस उम्र 55 में
No comments:
Post a Comment