नारद: पेड मिडिया की धुलाई :

Tuesday, March 6, 2012

पेड मिडिया की धुलाई :



पहले तय कर लें पेड मिडिया क्या है ? 
शायद जो किसी खास राजनितिक, व्यक्ति , या परिस्थितियों के प्रभाव में खबरों को तोड़ मरोड़ कर या एक तरफ़ा खबर दिखाए उसे पेड मिडिया कहते है, 

उदाहरणार्थ : 

एन डी टी वी : 
कल बरखा दत्त सुषमा स्वराज का संभाषण सुन रहा था, कैसे बरखा दत्त भाजपा के हर जगह जीत को छिपा रही थी, और कोंग्रेस की हार को छुपा रही थी. 
क्या आपको नहीं लागता की उसी टी वी पे सोनिया गाँधी को भी होना चाहिए था. ??? आज तक मैंने सोनिया को की चैनल पे राजनैतिक बहस करते नहीं देखा .. क्या कारन हो सकते है ? क्या वो कुछ जादा इलीट है जो मीडिया में नहीं आती ? या मीडिया वाले उनसे डरते है, या उनका फेका हुआ उदरस्थ करते हैं ?? 

इंडिया टीवी : 
उनका एक कार्यक्रम है, "जनता की अदालत"  मोदी जी से ले के बाबा रामदेव तक आ चुके है, लेकिन आज तक उस कार्यक्रम में मैंने न राहुल को देखा न सोनिया को मनो दोनों इस चैनल के लिए डायनासोर हो चुके हो, वो बात अलग है की जनता के दिल से विलुप्त जरुर हो गएँ है . 

स्टार  न्यूज: 
कोंग्रेस छोड़ किसी भी कोई खेमे में कोई हलचल हुयी तो तत्काल विजय देशद्रोही और और सनाज्य बलग्लर घुस के सवालों के बौछार शुरू कर देते है जैसे किसी देवी  के आशीर्वाद से प्रेरणा ले के आये हों . 

ये तो थी कुछ चैनलों की बानगी . 

अब आईये कल के सपा के जीत पे एक नजर डालते हैं जिसने भारी  बहुमत से जीत कर बता दिया की सत्ता किसी भी बहन, दीदी, मम्मी या बेबी की नहीं. 

जीतते ही कुछ घटनाये हुई जो की निंदनीय है सिवाए एक को, की मीडियाकर्मी को बंधक बनाया. 

हम तो कहते है जम के धुलाई करनी चाहिए थी, ऐसे मीडिया कर्मियों की जो किसी ज़माने में किसी एक के लिए कम करते थे बिना निष्पक्ष हुए. खोज खोज के सामूहिक पिटायी के बाद फिर वही करना चाहिए जो आज तक कोंग्रेस कराती आयी थी. 

और यदि इस तरह की मिडिया कर्मियों की जम के पिटाई हो तो विश्वाश मानीये जनता साधुवाद देगी, और मिडिया का कुछ तो स्तर सुधरेगा और पिटाई भी अंदुरनी, बहार की चोट न दिखे, और फिर भेज दे उनको स्क्रीन के सामने. 

इसी बहाने मै मिडिया वालों से भी कहना चाहूँगा , भाईओं जैसा बोवोगे वैसा काटोगे, यदि पिटाई  किसी दूसरे राजनितिक पार्टी जो जीत चुकी है से  होती है तो होली में बुरा न मानना बल्कि इसको प्रयाश्चित समझ अपनी भूल सुधार के  आगे जिम्मेदारी  को जिम्मेदारी से निभाना.  हप्पी होली . 

सादर कामल 
०७ /०८/ २०१२

3 comments:

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति |

होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सपरिवार होली की मंगलकामनाएँ!

India Darpan said...

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
शुभकामनाएँ