नोट:- इस व्यंग को गंभीरता से न ले और न हि दिल पे , मेरे हित में .
ब्याय्ज वर्सेज गर्ल :
हर जगह ये समस्या आदि काल से रही है चाहे पृथ्वी हो या स्वर्ग, चाहे समय घोषा अपाला का रहा हो , या आज राखी सावंत का, की श्रेष्ठ कौन ??
तो मामला अति संवेदनशील है, अपशब्द भी सुनना पड़ सकता है मुझको दोनों पार्टियों से, फिर भी विश्लेषण करने का मन कर रहा है अपने छमता के हिसाब से ( और इसको कहतें है आ बैल मुझे मार ) .
वैसे देखा जाये तो महिलाये हर मामले में बराबर है लेकिन कुछ मामलों में मिलो आगे ..
कल मै जे के सीमेंट का प्रचार देखा था दूरदर्शन पे, पहले सीमेंट का बोरिया आता है, फिर पीछे नदी में से एक महिला निकलती है, और कथन होता है "आत्म विश्वास के साथ" . मै चकराया - भाई सीमेंट के एड में इनका क्या काम ??? समझ में नही आया की सीमेंट ले पब्लिक या .... खैर .
महिलाओ के किसी भी प्रोडक्ट में पुरुषों की मौजदगी जरुरी नहीं है, लेकिन महिलाओं का पुरुष के हर प्रोडक्ट में होना सर्वथा अनिवार्य है, चाहे शेविंग क्रीम हो, या शैट-बुशैट,
पुरुषों का स्वयम्बर भी हुआ, राहुल तो सेट हो गया लेकिन राखी को न भाया, इस मामले में भी आगे .
आप किसी भी नेट्वर्किंग साईट पे जाईये , कोई बुत बड़ा कवि या लेखक होगा तो उसके मित्र सूचि में ५००-६०० से जादा लोग अमूनन तौर पे नहीं होते , लेकिन यदि वहीँ किसी महिला का उत्तेजक छाचित्र हो तो ५००० मित्र सूचि बड़ी आम बात है .
इतना तो क्लिओपेट्रा के लिस्ट में भी कोई नहीं होता यदि वो महाँन विभूति आज जिन्दा होती तो ....
फिल्मो को ही देखिये, हीरो तो पूरा रहत है शैट -बुशैट में लेकिन अभिनेत्री ???
वो तो भला हो "खान ब्रदर्स " का जो थोड़ी बहुत टक्कर देने लगे हैं आजकल, लेकिन अभी भी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी उन्हें इस मामले में बराबर आने में अभिनेत्रियों के .
महिलाएं सब कुछ में आगे , लेकिन फिर भी बिचारे पुरुषों पे इलज़ाम लगाया जाता है और गाहे बगाहे जेल भी पुरुष ही जाते हैं ...
और तो और नित्यानंद जैसे स्वामी भी इस प्रभाव से नहीं बच सके योगी हो के भी, तो आम मनुष्य की मजाल क्या ???
और तो और, स्वर्ग भी इससे अछूता नहीं है, विष्णु, शंकर का भी एक पत्ता नहीं हिलता जब तक गृह मंत्रालय से मंत्रणा न हो जाये ...
और पार्टियों की तो बात ही क्या, स्मृति इरानी को गुजरात से लड़ाया जा रहा है, एक अछ्छी खासी सुन्दर शुशील युवती को खुर्राट लुटेरा बनाया जा रहा है, मेरा तो दिल ही टूट गया इस बात पे ( मुझे बहुत पसंद थी , और उससे भी जादा मेरी माता जी को, एक भी एपिसोड मिस नहीं करती थी ..
पुराने ज़माने में घोसा अपाला ने बहुतों को पानी पिलाया विदुसियों ने, और अब ...राम ही राखे .....
नारायण नारायण ..
ब्याय्ज वर्सेज गर्ल :
हर जगह ये समस्या आदि काल से रही है चाहे पृथ्वी हो या स्वर्ग, चाहे समय घोषा अपाला का रहा हो , या आज राखी सावंत का, की श्रेष्ठ कौन ??
तो मामला अति संवेदनशील है, अपशब्द भी सुनना पड़ सकता है मुझको दोनों पार्टियों से, फिर भी विश्लेषण करने का मन कर रहा है अपने छमता के हिसाब से ( और इसको कहतें है आ बैल मुझे मार ) .
वैसे देखा जाये तो महिलाये हर मामले में बराबर है लेकिन कुछ मामलों में मिलो आगे ..
कल मै जे के सीमेंट का प्रचार देखा था दूरदर्शन पे, पहले सीमेंट का बोरिया आता है, फिर पीछे नदी में से एक महिला निकलती है, और कथन होता है "आत्म विश्वास के साथ" . मै चकराया - भाई सीमेंट के एड में इनका क्या काम ??? समझ में नही आया की सीमेंट ले पब्लिक या .... खैर .
महिलाओ के किसी भी प्रोडक्ट में पुरुषों की मौजदगी जरुरी नहीं है, लेकिन महिलाओं का पुरुष के हर प्रोडक्ट में होना सर्वथा अनिवार्य है, चाहे शेविंग क्रीम हो, या शैट-बुशैट,
पुरुषों का स्वयम्बर भी हुआ, राहुल तो सेट हो गया लेकिन राखी को न भाया, इस मामले में भी आगे .
आप किसी भी नेट्वर्किंग साईट पे जाईये , कोई बुत बड़ा कवि या लेखक होगा तो उसके मित्र सूचि में ५००-६०० से जादा लोग अमूनन तौर पे नहीं होते , लेकिन यदि वहीँ किसी महिला का उत्तेजक छाचित्र हो तो ५००० मित्र सूचि बड़ी आम बात है .
इतना तो क्लिओपेट्रा के लिस्ट में भी कोई नहीं होता यदि वो महाँन विभूति आज जिन्दा होती तो ....
फिल्मो को ही देखिये, हीरो तो पूरा रहत है शैट -बुशैट में लेकिन अभिनेत्री ???
वो तो भला हो "खान ब्रदर्स " का जो थोड़ी बहुत टक्कर देने लगे हैं आजकल, लेकिन अभी भी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी उन्हें इस मामले में बराबर आने में अभिनेत्रियों के .
महिलाएं सब कुछ में आगे , लेकिन फिर भी बिचारे पुरुषों पे इलज़ाम लगाया जाता है और गाहे बगाहे जेल भी पुरुष ही जाते हैं ...
और तो और नित्यानंद जैसे स्वामी भी इस प्रभाव से नहीं बच सके योगी हो के भी, तो आम मनुष्य की मजाल क्या ???
और तो और, स्वर्ग भी इससे अछूता नहीं है, विष्णु, शंकर का भी एक पत्ता नहीं हिलता जब तक गृह मंत्रालय से मंत्रणा न हो जाये ...
और पार्टियों की तो बात ही क्या, स्मृति इरानी को गुजरात से लड़ाया जा रहा है, एक अछ्छी खासी सुन्दर शुशील युवती को खुर्राट लुटेरा बनाया जा रहा है, मेरा तो दिल ही टूट गया इस बात पे ( मुझे बहुत पसंद थी , और उससे भी जादा मेरी माता जी को, एक भी एपिसोड मिस नहीं करती थी ..
पुराने ज़माने में घोसा अपाला ने बहुतों को पानी पिलाया विदुसियों ने, और अब ...राम ही राखे .....
नारायण नारायण ..
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