नारद: अंडे का फंडा

Sunday, October 14, 2012

अंडे का फंडा


अंडा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, बहुपयोगी पदार्थ है, खाने के अलावा भी कई सुंदरी इसको बालो में लगाती है ताकि उनके बाल स्वास्थ्य रहे जिसे देख उनके  बॉय फ्रेंड का दिल स्वस्थ रहे, कुछ को तो चेहरे पे रगड़ते देखा है. इन सब के अलावा भी भी इसका एक उपयोग है, किसी को उपहार देना, जी हाँ अंडा लोग उपहार में भी देते हैं, कुछ लोग सर पे फेंक के देते है कुछ  चहरे पर. 

चहरे  से याद आया की कुछ दिन पहले रेणुका जी ने बाबा रामदेव को शक्ल ठीक करने की सलाह दी थी, उनका  मानना है की शक्ल ठीक तो सब ठीक, लेकिन मेरे समझ में ये नहीं आता की  इतनी ढलती उम्र में भी रेणुका जी की शक्ल भी ठीक है,खंडहरे बताते हैं की ईमारत बुलंद होगी, लेकिन अक्ल का क्या करें ?? अब शकल से ही कुछ होना होता तो कोंग्रेस में एक से एक सुदर्शन लोग है, लेकिन शकल का कवच उनकी रक्षा नहीं कर पा रहा.क्या कोंग्रेस में इन्होने अपनी जगह शकल से बनायीं है.

एक बात तो तय है की शकल का अकल से कोई सम्बन्ध नहीं है,एसा होता तो अपने राहुल भाई के पास क्या कम सुन्दर शकल है ? हाँ एक समानता हो सकती है, लोग अक्ल लगा के शक्ल सुधार सकते हैं, लेकिन फिर भी शकल लगा अकल का कुछ नहीं किया जा सकता.   बाबा रामदेव हो या केजरीवाल दोनों के पास सुन्दर शकल न सही ?? लेकिन इनलोगो ने  सुन्दर शकल वालो के चहरे बुरी  तरह काले  कर रखे है, अब इनका गोरा अक्ल, काले हुए शकल को सुधारने में चला जाता है. 

शीला दीक्षित जी के समारोह में कुछ अंड बंड लोगो ने अंडाबाजी की,  सुन के दुःख प्रकट करू या ख़ुशी ..कोंग्रेसी कह रहे हैं है कबूतर का बीट था, बीट , वो भी इतना?? की पुरे चेहरे पे कान्ति फैला दे ?? तब उस कबूतर का नाम गिनीज बुक में जरुर दर्ज होना होना  चाहिए, वैसे भी  आम को इमली कहना कोंग्रेस की ये पुरानी आदत है. खैर जो भी हो इतना है की इस घटना को शीला दीक्षित जी को सकारात्मक  लेना चाहिए जैसे कोंग्रेस अपने घोटालो, महगाई के लिए सकारात्मक पक्ष प्रस्तुत करती है.  


लोग उस अंडाबाज  को अंड बंड कह रहे हैं लेकिन एसा नहीं है, निश्चित ही वह अंडाबाज  कोंग्रेस का शुभचिंतक  है, उसके अंडा फेकने  में एक फिलोसफी है,  वह चाहता है की कोंग्रेस की सरकार आगे भी देल्ही में रहे और शीला जी उसकी अगुवाई करे, अब चुकी महगाई , और घोटाले के कालिख ने कोंग्रेसियों का मुह काला कर दिया जिससे इनके चहरे की कान्ति घटने लगी, सो वह शुभचिंतक बस सन्देश देना चाह रहा था की अंडा इस्तमाल कीजिये, चेहरे की कालिख  दूर भगाईये  और चेहरे को कांतिमय बनाईये. शायद वह "शीला , शीला की जवानी" गाने से प्रभावित था, किरदार समझने में उससे चुक हो गयी, अरे अंडाबाज भाई, वो शीला दूसरी है और ये वाली दूसरी,..

जनता से इनकी अपेक्षाएं है की इनके सलाहे हुए महगाई को जनता आत्मसात कर सराहना करे लेकिन क्या ये जनता के सलाह को स्वीकारेंगे ?  सराहेंगे ??

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4 comments:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 15-10-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1033 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ

रविकर said...

बढ़िया भाई जी ।।

प्रतिभा सक्सेना said...

बहुत उपयोग हैं अंडे के भी !

प्रतिभा सक्सेना said...

बहुत उपयोग हैं अंडे के भी!