नारद: नवाब कसाब

Friday, October 21, 2011

नवाब कसाब


नेता दिग्गु  जब  लेटेस्ट वाला घोटाला कारने के बाद रुपया लेके जब स्विस जमा कराने गए, तो उनकी  नजर लोबी में बैठे  एक महिला पे पड़ी, कजराई आँखे, छरहरा बदन, गोरा सुर्ख रंग, कोई हूर  थी शायद  जाना पहचाना चेहरा सोच नेता जी नजदीक गए, और फटाफट एक घटिया कसीदा पढ़ दिया  .

"कसम खुदा कि ऐसा हसीं चेहरा न देखा इस ज़माने में ,
खुदा ने भी किया होगा  घोटाला तुझे बनाने में,
लूट के ज़माने भर कि शोखी, तुझे इनायत कि,
मिल जाये तू तो घोटाला न करू इस ज़माने में"

ला हौल विला कुवद , कौन हैं आप मिया और दो बच्चों कि मा को भी नहीं छोडते, आपको इल्म न होगा मै कौन हूँ, पुरे दुनिया में डंका बज रहा है मेरी खूबसूरती का आजकल, ओसामा ने मुझे छेड क्या दिया ओबामा ने मौत कि सजा दे दी उसको,

नेता जी : माफ कीजियेगा मीना अब्बानी जी मै पहचान नहीं  पाया आपको आपकी खूबसूरत नज़रे पहली बार जो देखा बिना चश्मे के, "काश मै आपका चश्मा होता , हरदम नजरो के साथ होता"  पिछली बार जब भारत में मुलाकात हुआ था तो मैंने मन्नत मांगी थी कि दुबारा आपसे मुलाकात हुआ तो कसाब  कि सजा आगे बढ़वा दूँगा. भला हो हमारी घोटालाबाज़ आदतों कि  जो छूटती नहीं, वरना मुलाकात मुमकिन न था. कहिये आप यहाँ कैसे ???

मीना अब्बानी :  मै सत्ता में नयी नयी आयीं हूँ , मुझे भी इस खाते कि जरुरत पड़ेगी सो पहले ही तयारी कर लूँ, कसाब  से याद आया, कि कैसा है वो ?? आपलोग ख्याल तो रखते हैं न ?? सुना है सुकून से है. मौज कर रहा है.
वास्तव में आपकी सरकार भली है जो  एक जेहादी कि सेवा करती है, जेहाद तो उसने जन्नत में जाने के लिए कि थी लेकिन आपने उसको जेल में ही जन्नत दे दी.  इससे हम पूरी तरह से इत्मीनान  है कि आगे भी ऐसा ही करेंगे, मै जल्द से जल्द ये सुझाव अपनी सरकार को दूंगी कि जेहादियों कि जन्नत भारतीय  जेल है , राजनीति मुस्लिम तुस्टीकरण कि निति के आगे देश प्रेम छोटा है, वहाँ के कुछ हमारे मुसलमान एजेंट भी हमें सपोर्ट करेंगे, मुआ अमेरिका वाला तो मानता  ही नहीं है, हमारे यहाँ भी आ के मेरे आशिक को जहन्नुम पंहुचा दिया, हमें तो इल्म ही न था नहीं तो उसको सुझा देती कि टावर उड़ाने से बेहतर है भारतीय मारो,  वहाँ जादा स्कोप है, कम से भारतीय जन्नत तो मिलता. आपलोगों ने पुरे विश्व के आतंकवादियों को एक नयी प्रेरणा दी है, और हम आपका समर्थन करतें हैं.

नेता जी : आप कहाँ इस खुशनुमा माहौले इश्क में रश्क मिला रहीं हैं ??  मेरा इश्क कबुल करे और हम एक नयी जन्नत बनाये मै आपके बच्चों का पूरा ख्याल रखूँगा और अपने जैसा खुर्राट घोटालेबाज  नेता बनाऊंगा, मेरा गुण और आपका कमीनापन जब साथ मिलेगा तो खुदा  कसम "मिनी ओसामा और मेरा" बड़ा नायाब मिश्रण होगा, लगे   हाथ वो काम भी हो जायेगा जो आज तक किसी नेता ने नहीं किया , भारत- पोर्किस्तान दोस्ती.

मीना अब्बानी : नेता जी, बात तो बुरी नहीं आपकी लेकिन लेकिन आपको मेरी  कुछ शर्ते माननी पड़ेंगी,

१.आपको अपना धर्म परिवर्तन करना होगा. क्योकि जब भी कोई हिंदू किसी मुस्लिम से विवाह करता है तो धर्म परिवर्तन हिंदू का ही होता है. आपको इसका इत्मीनान करना होगा.

२ . कुछ चिल्लर मेरे पास पहले से ही हैं फिर भी मै परिवार नियोजन न अपनाऊंगी,  हमारे धर्म में जनसँख्या बढ़ाना लिखा है, ताकि हम जादा से जादा हो के अलगवाव वादी निति लागू कर सकें, इतिहास गवाह है जहाँ भी हमारी थोड़ी सी जनसँख्या बढ़ी है, हमने वहाँ अलग होने के लिए जेहाद शुरू किया है, चाहे वो चेचन्या हो या भारत.  हाँ यदि कुछ बुद्धिमान इस्लामी इसका विरोध करें भी तो हम बर्बरता पूर्वक  उनको मिटा देतें हैं. हमारे आतंक के आने में आने वाले इस्लामी तक को तो हम छोडते नहीं तो बाकियों कि क्या बिसात ?? और इसमें भी आप साथ साथ रहने का इत्मीनान कराएँ .

३ . हम जैसे स्वार्थी, जहाँ  रहते हैं कुछ न कुछ बयान बजी एसी करतें हैं जिससे हिन्दुओ कि भावना आहत हो और माहौल बिगड़े, आखिर हिंदुओं में भी मूर्खो कि कमी नहीं है, १ % मुर्ख हिंदू और मुसलामनो का मिश्रण काफी है ९९ % सीधे- सरल  मुसलामनो और हिन्दुवो  के बीच भेद पैदा करने के लिए. इसमें भी आपको हमारे साथ रहने का इत्मीनान करना होगा .

४ . हम कुरआन के नाम पे लोगो को बहकाते हैं फुसलाते हैं ये सब चालबाजी आपको सीखनी होगी. हमें हर संभव कोशिश करनी होगी कि हिन्दुवों और मुसलमानों में विद्वेष हो, मै मुसलमानो का विंग देखूंगी और आप हिन्दुवों का.  इतना तो हमें भी पता है कि भारत में कोई हिंदू गलती करे तो तो कोई धर्मगुरु समर्थन नहीं देता , अलबत्ता अजमल और कसाब तक को वहाँ के कुछ नेता टाइप के मुल्ला मौलवी समर्थन करते हैं जो वास्तव  नेपथ्य से हमारे ही पोषित होतें हैं और  आप जैसे राजनेता वोट बैंक कि राजनीति में कुछ नहीं कर पाते,  जिससे  बाकी के सीधे साधे  इस्लाम  कौम को वहाँ  शक कि नजरो से देखा जाता है, इससे  हमारा काम और भी आसान होता है.

नेता जी को  अब तक तारे दिख रहे थे, गटा  गट हैंसे के घुट गटक के बोले :

" ये शर्तें है यां अजेंडा ??? इतना तो हम चुनाव लडने के लिए भी नहीं करते इतनी चालाकी काम न आयेगी , हमारे मोहब्त को तिजारत के तराजू से तौलती हो, हम कमीने है पर इतने भी नहीं,कौम न रहा तो घोटाला कहाँ से करेंगे ??? बेहतर है तुम पहला वाला उपाय ही लगाओ , और यहाँ हमले करवाओ , मुद्दे मिलते रहेंगे हम लूटते रहेंगे, वैसे भी वहाँ जादा नहीं रहने वाले, जनता जाग चुकी है चाहे हिंदू हो या मुसलमान सब समझते हैं, अब हमारे -तुम्हारे जैसों कि नहीं चलनी, मेरा तो ये अंतिम घोटाला था, तुम भी सुधर जाओ, नहीं तो गद्दाफी का हाल तो देखा होगा न , ४१ सेकेण्ड भी नहीं लगा ४१ साल के शाशक का जान लेने में, हमारा डेथ टाइम तो फिर भी १ मिनट होगा  ६० साल से ऊपर जो राज किया. काउंटर पे जाईये आपका नंबर  आ गया है .  

6 comments:

रविकर said...

वाह, बहुत सुंदर ||

Anonymous said...

कमल भाई आपकी व्यंग शैली लाजबाब है.. बड़े बेबाक लहजे मैं नंगो को आइना दिखाते है आप. लिखते रहें.. हमे आपके लेख का बेसब्री से इंतजार रहता है.. ये रचना मुझे खासी पसंद आई..

Bibhaw said...

bahut badhiya :)

कमल कुमार सिंह (नारद ) said...

आप सभी को बहुत बहुत आभार , हौसला अफजाई के लिए , :)
त्रुटियाँ इंगित करने के लिए मुझे मेल करे :-

kkumarsinghkamal@gmail.com

ताकि आगे और सुन्दर प्रस्तुति दे सकू :)

सादर
कमल कुमार सिंह

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' said...

दिमाग खिसक गया लगता है इसलिए उल जलूल बक रहा है |

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

वाह लाजबाब व्यंग शैली है.......